मध्य प्रदेशराज्य

जीवन में सफलता के लिए ज्ञान के साथ संवेदना भी जरूरी : राज्यपाल पटेल

भोपाल: राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जीवन में सफलता के लिए ज्ञान के साथ संवेदना का होना भी जरूरी है। विश्वविद्यालयीन जीवन में मिली शिक्षा और संस्कारों को आचरण में उतारने पर जीवन में सफलता मिलना तय है। उन्होंने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण बात सोच का बड़ा होना है। देश के हर नागरिक की सोच आत्म-निर्भरता की होगी, तभी राष्ट्र आत्म-निर्भर बनेगा।

राज्यपाल पटेल आज कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा आकाश त्रिपाठी भी मौजूद थे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विद्यार्थियों का आव्हान किया कि गरीब, पिछड़े और वंचित वर्गों के विकास की जिम्मेदारी ग्रहण करें। राष्ट्र और समाज के विकास में इसी भावना के साथ योगदान दें। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता मानव जीवन का मूलाधार है। इसीलिए प्रकृति ने उसे सोचने, समझने, सीखने और संवाद की विशिष्ट क्षमताएँ दी है। उन्होंने कहा कि विकास वही है, जिसमें सबका साथ, विश्वास और प्रयास शामिल हो। पटेल ने कहा कि निष्ठा भाव से किए गए सेवा कार्यों का फल, आत्म संतुष्टि के आनंद में ही मिलता है। उन्होंने कहा कि भविष्य की सफलताओं में अतीत में माता-पिता के संघर्ष और शिक्षकों के सहयोग को भूले नहीं। भावी जीवन की सफलताओं में उनके योगदान को भी याद रखें।

भारतीय तकनीकी परिषद के अध्यक्ष अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि दीक्षांत समारोह स्वाध्याय और जीवन भर शिक्षा का संकल्प है। वर्तमान समय ज्ञान और तकनीक के तेजी से बदलाव का है। आज की डिग्री की प्रासंगिकता भविष्य में बनी रहे, इसके लिए निरंतर अपडेशन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी का सत्यनिष्ठ कार्य और व्यवहार ही भारत को विश्व गुरु बनाएगा। उन्होंने अधिक से अधिक मूक प्लेटफॉर्म के पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए शिक्षकों का आव्हान किया।

कुलपति सुनील कुमार ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत प्रतिवेदन में बताया कि आगामी शिक्षा-सत्र से हिंदी माध्यम में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए शिक्षण सामग्री की उपलब्धता कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद और प्रकाशन किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा मेजर के साथ माइनर पाठ्यक्रमों में उपाधि देने की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालय प्रांगण में वर्तमान में 5 हजार छात्र-छात्राएँ अध्ययन कर रहे हैं। वर्ष 2030 तक इसे 15 हजार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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