प्याज की कीमतों में भारी उछाल, बीजेपी सरकार हुई सतर्क
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नई दिल्ली : टमाटर की कीमतों में 700 फीसदी तक के उछाल (boom) के बाद नए फसल के आवक शुरू होने के बाद से रिटेल मार्केट (retail market) में टमाटर की कीमतें घटने लगी हैं. लेकिन अब प्याज (onion) की कीमतों में बढ़ोतरी (increase) मोदी सरकार के साथ सत्ताधारी (the ruler) दल भारतीय जनता पार्टी की सिरदर्दी (headache) बढ़ा सकती है. जुलाई महीने में खाद्य महंगाई दर वैसे ही डबल डिजिट 11.51 फीसदी पर जा पहुंची है. उसपर से प्याज की कीमतें बढ़ी तो महंगाई दर में और भी उछाल देखने को मिल सकता है.
इस वर्ष कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल है. टमाटर की कीमतों में उछाल से सबक लेते हुए अभी से केंद्र सरकार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर हरकत में आ गई है. सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर नकेल कसने के लिए 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दिया है. तो 25 रुपये किलो में रिटेल मार्केट में प्याज बेचा जा रहा है. प्याज की कीमतों में उछाल सत्ताधारी दलों के आंखों से आंसू निकाल सकती है. वैसे ही महंगे प्याज के चलते पूर्व में सत्ताधारी दल सत्ता पाने से दूर रह गई थी. इसलिए सरकार अभी से बेहद सतर्क है.
टमाटर की कीमतों में उछाल के बाद सरकार की भारी आलोचना हुई थी. केंद्र सरकार ने कई राज्यों जहां टमाटर की खपत ज्यादा होती है वहां नेफेड और एनसीसीएफ के जरिए सस्ती कीमत पर टमाटर बेचा है. पर अब प्याज की बारी है.
अगस्त महीने के पहले हफ्ते में क्रिसिल मार्केट इंटेलीजेंस एंड एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सप्लाई-डिमांड में खाई होने के चलते अगस्त के आखिर में प्याज की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है. रिपोर्ट में कहा गया था कि प्याज की कीमतों बढ़कर सितंबर महीने में 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है. इस वर्ष फरवरी-मार्च में पैनिक सेलिंग के चलते ओपन मार्केट में प्याज की स्टॉक में अगस्त सितंबर में कमी देखने को मिलेगी. इस दौरान डिमांड और सप्लाई में मिसमैच देखने को मिल सकता है. महाराष्ट्र में 40 फीसदी प्याज का उत्पादन होता है. वहां मानसून में बारिश कम हुई है ऐसे में प्याज की फसल प्रभावित हो सकती है. इससे भी सरकार की चिंता बढ़ी हुई है.
ऐसे में प्याज को लेकर सरकार की ओर से लिया गया फैसला ये इशारा कर रहा कि महंगाई को लेकर सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. खाद्य महंगाई में उछाल से केंद्र में बीजेपी और मोदी सरकार को नुकसान हो सकता है. आरबीआई ने पिछले हफ्ते जो बुलेटिन जारी किया था उसमें कहा गया कि सप्लाई में जो दिक्कतें पैदा हुई हैं वो फिलहाल खत्म होने वाली नहीं है. महंगाई दर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6 फीसदी के ऊपर बनी रह सकती है. तो वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने भी कहा है कि आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव बना रह सकता है. उसने केंद्र सरकार और आरबीआई को इसे लेकर बेहद सतर्क रहने की नसीहत दी है.