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भारतीय सेना ने सेवा कर्मियों की मृत्यु के मामले में परिवार के सदस्यों को सरकारी आवास देने का निर्णय लिया

नई दिल्ली । भारतीय सेना ने सेवा कर्मियों की मृत्यु के मामले में परिवार के सदस्यों को सरकारी आवास बनाए रखने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इसके लिए किराया सामान्य लाइसेंस शुल्क के बराबर होगा। सशस्त्र बल कर्मियों के परिवारों पर बोझ कम करने के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद 2 अगस्त को जारी नवीनतम अधिसूचना में ये कहा गया है। आदेश के मुताबिक, सबसे छोटे बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक क्वार्टर बनाए रखा जा सकता है।

लड़ाई में हताहत होने की स्थिति में परिवार इस सुविधा का लाभ तब तक उठा सकता है जब तक कोई बच्चा या सबसे छोटा बच्चा बारहवीं कक्षा पास नहीं कर लेता। नए आदेश में कहा गया है कि यह शुरू में स्टेशन कमांडर की मंजूरी से तीन साल और छह महीने के लिए होगा और दो साल के लिए या सबसे छोटे बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी करने तक के लिए बढ़ाया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा, स्टेशन कमांडर से ऊपर के एक अधिकारी को ऐसे अनुरोधों को मंजूरी देनी होती है।

शारीरिक अक्षमता की अन्य श्रेणी में, दो वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आवंटन या प्रतिधारण स्टेशन कमांडर द्वारा प्रदान किया जाएगा और उच्च अधिकारी के अनुमोदन से दो वर्ष बढ़ाया जाएगा। सूचीबद्ध अधिकृत अवधि के लिए किसी भी स्तर पर वैकल्पिक स्टेशन पर सरकारी आवास का आवंटन क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) के अनुमोदन पर दिया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने पहले की स्थिति में सुधार किया है जहां युद्ध के दौरान हताहत होने की स्थिति में, आवास को अधिकतम साढ़े तीन साल तक रखा जा सकता है जिसमें डेढ़ साल का विस्तार शामिल है। लेकिन, शारीरिक अक्षमता के मामले में यह सुविधा सिर्फ दो साल के लिए उपलब्ध थी।

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