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भारतीय मौलवियों को मुस्लिम संगठन ने ईरान के हिजाब विवाद पर घेरा, चुप्पी पर उठाए सवाल

नई दिल्ली : ईरान में एक महिला द्वारा हिजाब न पहनने पर उसकी हत्या का मामला हर जगह जोरों से उठ रहा है। यहां तक की खुद ईरान में हिजाब और बुर्के का विरोध शुरू हो गया है। इस बीच इंडियन मुस्लिमस फार सेक्युलर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी) ने ईरान के ‘सत्तावादी’ कानूनों की आलोचना की है। ईरान की जबरन हिजाब पहनने के कानून की आलोचना करते हुए मुस्लिम संगठन ने भारतीय मौलवियों को भी घेरा है। संगठन ने मौलवियों को आईना दिखाते हुए ईरानी महिलाओं के चयन के अधिकार का समर्थन नहीं करने पर उनके पाखंड को उजागर किया है। उन्होंने साथ ही भारत में चल रहे हिजाब विवाद के संदर्भ में महिलाओं की आजादी का इसे एक तर्क माना है।

इंडियन मुस्लिम फारम ने एक बयान में कहा कि ईरान के रूढ़िवादी, सत्तावादी कानूनों और इसके जानलेवा प्रवर्तन की वह कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने साथ ही नागरिकों के विरोध के अधिकार की पुरजोर समर्थन किया। इसमें आगे कहा गया है कि 21वीं सदी में सिर्फ सिर न ढकने के लिए किसी इंसान की हत्या करना अमानवीय और बर्बर है।

IMSD द्वारा जारी किए गए बयान को स्वतंत्रता सेनानी जी जी पारिख, जावेद अख्तर, शबाना आज़मी, नसीरुद्दीन शाह, जीनत शौकतली, योगेंद्र यादव और तुषार गांधी सहित विभिन्न शहरों के लगभग 100 प्रमुख नागरिकों ने समर्थन दिया है।

22 वर्षीय महसा अमिनी को ईरान की पुलिस ने पिछले सप्ताह तेहरान में ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई थी, लेकिन पुलिस ने कहा कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई और उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया।

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