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International Tiger Day: PM मोदी ने बाघों की संख्या पर रिपोर्ट की जारी, देश में 741 टाइगर बढ़े

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी की है। देशभर में बाघों की संख्यों को लेकर आंकड़ा जारी किया गया है। नए आंकड़ों के मुताबिक, देश में बाघों की संख्या 2967 पहुंच गई हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 जारी किया। इसके मुताबिक 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में 741 बढ़ोत्तरी हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘आज, हम बाघ की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। सिर्फ घोषित बाघ जनगणना के परिणाम हर भारतीय को खुश करेंगे। 9 साल पहले सेंट पीटर्सबर्ग में यह निर्णय लिया गया था कि बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य 2022 होगा। हमने इस लक्ष्य को 4 साल पहले पूरा कर लिया है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘आज, हम बाघ की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। सिर्फ घोषित बाघ जनगणना के परिणाम हर भारतीय को खुश करेंगे। 9 साल पहले सेंट पीटर्सबर्ग में यह निर्णय लिया गया था कि बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य 2022 होगा। हमने इस लक्ष्य को 4 साल पहले पूरा कर लिया है।’ उन्‍होंने बताया कि 2014 में भारत में Protected Areas की संख्या 692 थी जो 2019 में बढ़कर अब 860 से ज्यादा हो गई है। साथ ही Community Reserve की संख्या भी साल 2014 के 43 से बढ़कर अब सौ से ज्यादा हो गई है।

पीएम मोदी ने कहा कि आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत करीब 3 हज़ार टाइगर्स के साथ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित Habitats में से एक है, लेकिन हमें सहअस्तित्व को भी स्वीकारना होगा और सहयात्रा के महत्व को भी समझना होगा। बीते पाँच वर्षों में जहां देश में Next generation Infrastructure के लिए तेजी से कार्य हुआ है, वहीं भारत में Forest Cover भी बढ़ रहा है।देश में Protected Areas की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मुताबिक 2014 में आखिरी बार हुई गणना के अनुसार भारत में 2226 बाघ थे जो कि 2010 की गणना की तुलना में काफी ज्यादा हैं। 2010 में बाघों की संख्या 1706 थी।

भारत के बाघों की राजधानी के रूप में उभरा उत्‍तराखंड
बाघ संरक्षण के काम को प्रोत्साहित करने, उनकी घटती संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इस सम्मेलन में मौजूद कई देशों की सरकारों ने 2020 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। भारत में बाघों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि पिछले कुछ सालों में भारत ने अन्य देशों की तुलना में बाघ संरक्षण पर काफी मेहनत की है। उत्तराखंड भारत के बाघों की राजधानी के रूप में उभर रहा है। उत्तराखंड के हर जिले में बाघों की उपस्थिति पायी गयी है। वन विभाग के साथ-साथ राज्य सरकार इन अध्ययनों से काफी उत्साहित है और केन्द्र सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट भेजेगी। उत्तराखंड में 1995 से 2019 के बीच किये गये विभिन्न शोधों व अध्ययनों से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है। इस दौरान विभिन्न डब्ल्यूआईआई के रिपोर्टों के अलावा विभिन्न समय में लगाये गये कैमरा ट्रेपों व मीडिया रिपोर्टों को आधार बनाया गया है।

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