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मनमोहन सिंह बोले- जवानों के बलिदान के लिए न्याय सुनिश्चित करे सरकार

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री और सरकार का आवाह्न करते हैं कि वे इस मौके पर साथ आएं और कर्नल संतोष बाबू और हमारे जवानों के बलिदान के लिए न्याय सुनिश्चित करें। इन्होंने हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इससे कुछ भी कम करना लोगों के विश्वास के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात होगा। 

गौरतलब है कि पिछले दिनों गलवन में भारत और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस भिड़ंत में 20 भारतीय सैनिकों ने अप्रतिम बहादुरी का परिचय देते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था, जबकि इस दौरान चीन के 40 से अधिक सैनिक ढेर हो गए थे। 

पूर्व पीएम ने अपने बयान में कहा कि 15-16 जून को लद्दाख के गलवन वैली में भारत के 20 साहसी जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। इन बहादुर सैनिकों ने साहस का के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च त्याग के लिए हम इन साहसी सैनिकों व उनके परिवारों के कृतज्ञ हैं, लेकिन उनका यह बलिदान  व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। 

सरकार के कदम तय करेंगे कि भविष्य का आंकलन

मनमोहन सिंह ने आगे कहा कि आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारा सरकार के निर्णय व सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करेंगी, जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है। 

पूरे राष्ट्र को एकजुट होने का समय

मनमोहन सिंह ने आगे कहा कि चीन ने अप्रैल, 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवन वैली व पैंगोंग सो लेक में अनेकों बार जबरन धुसपैठ की है। हम न तो उनकी धमकियों व दबाव में झुकेंगे और न ही अपनी भूभागीय अखंडता से को समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने व स्थिति को और ज्यादा गंभी होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें। यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और इस दुस्साहस का जवाब देना है। 

कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता भ्रामक प्रचार

मनमोहन ने यह भी कहा कि हम सरकार को आग्रह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता। पिछलग्गू सहयोगियों द्वारा प्रचारित झूठ के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता। प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आग्रह है कि वो वक्त की चुनौतियों का सामना करें और कर्नल बी. संतोष बाबू व हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा  व भूभागीय अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे कुछ भी कम जनादेश से एतिहासिक विश्वासघात होगा। 

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