काम निकालने के बाद मुखबिरों को बेसहारा छोड़ देता अमेरिका, CIA के दोमुंहेपन पर सनसनीखेज खुलासा
तेहरान : इंटरनेशनल समाचार एजेंसी रॉयटर्स के जोएल स्केक्टमैन और बोजोर्गमेहर शारफेडिन ने करीब एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के नकारापन और लापरवाही को लेकर सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कहा गया है, कि किस तरह से अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने अपने ईरानी गुप्तचरों को जरूरत के वक्त बेसहारा छोड़ दिया। गुरुवार को जोएल स्केक्टमैन और बोजोर्गमेहर शारफेडिन की एक साल की मेहनत से तैयार किए गये इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी को प्रकाशित किया गया है, जिसमें अमेरिका के डबल गेम का एक बार फिर से खुलासा हुआ है, जिसमें कहा गया है, कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने अपने ईरानी मुखबिरों को लेकर भारी लापरवाही बरती है।
सीआईए की बड़ी लापरवाही समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ‘अमेरिकाज थ्रोअवे स्पाईज’ हेडलाइंस के साथ जो रिपोर्ट छापी है, उसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को लेकर बड़े खुलासे किए गये हैं और बताया गया है, कि किस तरह से अमेरिकी एजेंसी उन नागरिकों के प्रति लापरवाही बरतती है और अपनी जवाबदेही से भाग जाती है, जिनका इस्तेमाल उसने अपने नेटवर्क विस्तार और खुफिया जानकारियों को जुटाने के लिए किया था। इस रिपोर्ट में अमेरिकी एजेंसी की दोषपूर्ण प्रणालियों के बारे में बताया गया है।
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट को ‘कहा है और दावा किया गया है कि, कई ईरानी मुखबिरों को पकड़े जाने के बाद सीआईए ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया और कई मुखबिरों को यह आशंका भी है, कि उनका सौदा खुद अमेरिकी एजेंसी ने ही कर दिया।
मुखबिरों से बातचीत समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने साल 2009 से 2015 के बीच सीआईए के लिए जासूसी करने वाले 6 ईरानी मुखबिरों से बात की, जिन्हें ईरान में पकड़ लिया गया और फिर उन्हें सजा मिली। उस वक्त ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद हुआ करते थे और रॉयटर्स के रिपोर्टर्स ने सरकारी दस्तावेजों की स्टडी करने के साथ साथ पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारियों से भी बात की। रिपोर्ट के अनुसार, 2009 में शुरू हुए “काउंटर इंटेलिजेंस पर्स” के हिस्से के रूप में ईरान ने इन अमेरिकी जासूसों को जेल में डालना शुरू कर दिया था और ईरान ने दर्जनों सीआईए मुखबिरों को पकड़ने का दावा किया था।
जांच में पाया गया कि, सीआईए ने अपने मुखबिरों से संपर्क स्थापित करने के लिए 350 से ज्यादा फर्जी वेबसाइटों का इस्तेमाल किया। सीआईए के दो पूर्व अधिकारियों ने रायटर को बताया कि, ‘किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए एक नकली वेबसाइट का इस्तेमाल सिर्फ एक जासूस से संपर्क स्थापित करने के लिए किया गया’, लेकिन सीआईए के दोमुंहेपन के बारे में ये बात जानकर आप दंग रह जाएंगे, कि इन वेबसाइटों की पहचानना और उन्हें क्रैक करना काफी ज्यादा आसान कर दिया गया था। खराब कम्युनिकेशन चैनल रिपोर्ट में पाया गया कि, इन फर्जी वेबसाइटों में “एक ही गुप्त संदेश प्रणाली” का इस्तेमाल किया गया था और उन वेबसाइटों में ज्यादातर के आईपी एड्रेस एक क्रम में ही थे, जिनकी पहचान करना काफी आसान हो जाता है।