कोरोना ने किया पर्यटन और चाय उद्योग बर्बाद, कर्ज के जाल में फंसा श्रीलंका
कोरोना महामारी ने विश्व भर में जहां लाखों लोगों की जान ले ली वहीं अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर दिया है. दुनिया का लगभग हर देश कोरोना के कारण आर्थिक मंदी का शिकार है. भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका भी आर्थिक खस्ताहाली का शिकार है. श्रीलंका का पर्यटन उद्योग कोरोना के कारण गहरे प्रभावित हुआ है. कोरोना के कारण विश्व भर में पर्यटन व्यवसाय को ज्यादा नुकसान हुआ है. टूरिज़्म सेक्टर श्रीलंका में आय का तीसरा सबसे बड़ा ज़रिया है. कोरोना की वजह से श्रीलंका का टूरिज़्म सेक्टर बर्बाद हो चुका है. 2019 में श्रीलंका की जीडीपी में टूरिज़्म सेक्टर का योगदान 10.4 प्रतिशत था वहीं 2020 में श्रीलंका की जीडीपी में टूरिज़्म सेक्टर का योगदान घटकर 4.9 प्रतिशत रह गया.
एक आंकड़े के मुताबिक 2019 में श्रीलंका में अंतर्राष्ट्रीय घरेलू पर्यटकों ने कुल 738 करोड़ डॉलर ख़र्च किये. जबकि 2020 में श्रीलंका में अंतर्राष्ट्रीय घरेलू पर्यटकों का कुल ख़र्च घटकर 303 करोड़ डॉलर रह गया.
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श्रीलंका में सबसे ज़्यादा टूरिस्ट चीन से आते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक 2019 की जनवरी -फरवरी के दरमियान 54,452 चाइनीज़ टूरिस्ट श्रीलंका पहुंचे. जबकि 2020 की जनवरी -फरवरी के दरमियान चीनी पर्यटकों की संख्या घटकर 24,459 हो गयी. कोरोना महामारी के चलते यह 2021 की जनवरी -फरवरी के दरमियान चीनी पर्यटकों की संख्या घटकर 144 रह गयी.
श्रीलंका- चाय से कमाई घटी
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में चाय का योगदान 2 प्रतिशत है. 2020 के मुक़ाबले 2021 में चाय से कमाई घट गयी है. एक आंक्ड़े के मुताबिक 2020 की जुलाई में 2.8 करोड़ किलोग्राम का एक्सपोर्ट किया था जबकि 2021 की जुलाई में एक्सपोर्ट घटकर 2 .5 करोड़ किलोग्राम रह गया है. चाय से कमाई की बात की जाये तो 2020 की जुलाई में चाय से कमाई 24.33 अरब रुपये थी. लेकिन 2021 की जुलाई में कमाई चाय से कमाई 1.31 अरब रुपये घटकर 23.02 अरब रह गयी.
क़र्ज़जाल में श्रीलंका
चाय उद्योग पर्यटन उद्योग के बदहाल होने के कारण श्रीलंका कर्ज के दलदल में फंसता जा रहा है. अप्रैल 2021 तक श्रीलंका पर कुल क़र्ज़ 35.1 अरब अमेरिकी डॉलर था. श्रीलंका ने चीन , जापान , भारत , एडीबी , वर्ल्ड बैंक से क़र्ज़ लिया है. श्रीलंका के क़र्ज़ का बड़ा हिस्सा चीन का है.
चीन ने श्रीलंका को 1638 करोड़ डालर क़र्ज़ दिया हुआ है. 2021 के पहले चार महीनों में श्रीलंका ने चीन से 51.49 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ लिया है. साल 2020 में भी चीन ने श्रीलंका को 56.84 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ दिया था. कर्ज के चलते दबाव में ही श्रीलंका ने अपने हंबनटोटा बंदरगाह को 1.12 अरब डॉलर के बदले 99 साल के लिए चीन को सौंप दिया है.
श्रीलंका पर भारत का भी 86 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ है. इस साल जनवरी से अप्रैल तक श्रीलंका ने 98 .1 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ चुकाया. चुकाए गए क़र्ज़ का बड़ा हिस्सा यानी 46 करोड़ डॉलर बतौर इंटरेस्ट चुकाना पड़ा.
कंगाली के कगार पर श्रीलंका
श्रीलंका गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा है. देश का राजस्व घट रहा है जबकि खर्च लगातार बढ़ रहा है. इस साल राजस्व अनुमान से 1,500 से 1,600 अरब रुपये घट गया है. श्रीलंका के रुपए में डॉलर का भाव 200 रुपए के भी पार चला गया है. श्रीलंका का जुलाई 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 2.8 बिलियन डॉलर था. जून में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 3 .6 बिलयन डॉलर था. जबकि 2019 में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 बिलियन डॉलर था.
महंगाई से बेहाल श्रीलंका
पर्यटन औऱ चाय उद्योग के खस्ताहाल होने से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था संकट में है. जिसके चलते आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं. श्रीलंका में चीनी- 225 रुपये प्रति किलो, चावल – 120 -225 रुपये प्रति किलो, प्याज़ – 120 रुपये प्रति किलो आलू – 120 रुपये प्रति किलो है. ऐसे में आम जनता के पास अपनी भूख मिटाने के बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है.