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मोहर्रम पर नहीं निकाल सकेंगे ताजिया जुलूस, जानें क्या है वजह

मोहर्रम पर नहीं निकाल सकेंगे ताजिया जुलूस, जानें क्या है वजह

लखनऊ/ प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुहर्रम पर ताजिया जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में शनिवार को हुई सुनवाई में दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए यह फैसला दिया।

जानकारी के मुताबिक रोशन खान और कई अन्य लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर मुहर्रम पर ताजिया जुलूस निकालने की अनुमति देने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जुलूस निकालने पर किसी तरह की रोक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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याचिकाकर्ताओं के वकील ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कई दूसरी धार्मिक गतिविधियों के आयोजन को मंजूरी दी है। लेकिन मुहर्रम के ताजिया जुलूस की मंजूरी नहीं दी गई। यह सरकार की भेदभावपूर्ण कार्रवाई है।

सरकारी वकील रामानंद पांडेय ने कहा कि धर्म के पालन की स्वतंत्रता परम अधिकार नहीं है। यह सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और स्वास्थ्य से बंधा है। चूंकि कोविड-19 एक महामारी है। इसलिए राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा सकती है।

रामानंद पांडेय ने कहा कि सरकार की कार्रवाई भेदभावपूर्ण नहीं है। सरकार ने इसी महीने गणेश चतुर्थी और कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार पर भी झांकी निकालने की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने घरों पर धार्मिक कार्य करने की अनुमति है लेकिन सार्वजनिक जगहों पर नहीं। इसलिए सरकार ने ताजिया जुलूस के लिए भी प्रतिबंध लगाया है।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायमूर्ति एसके गुप्ता और शमीम अहमद की खंडपीठ ने कहा कि सभी धार्मिक समुदायों के लिए एक ही मापदंड अपनाया गया है और उसमें कोई भेदभाव नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ताजिया जुलुस निकालने की अनुमति के लिए याचिकाकर्ता के वकील कोई व्यावहारिक सुझाव नहीं दे सके। इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है।

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