देहरादून: उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में पहचान रखने वाले सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट 22 मई को सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। हेमकुंड साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां यात्रा पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। कहा जाता है कि हेमकुंड साहिब की खोज 1934 में हुई थी। इसका जिक्र डिवाइन हेरिटेज ऑफ हेमकुंड साहिब एंड वल्र्ड हेरिटेज ऑफ वैली ऑफ फ्लावर किताब में भी है। किताब के अनुसार 1930 के दशक में पत्रकार तारा सिंह नरोत्तम बदरीनाथ यात्रा पर आए थे। उन्होंने पांडुकेश्वर से यहां जाकर इसकी खोज की। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से पंजाब के निवासियों को इसकी जानकारी दी।
वर्ष 1934 में सेना के हवलदार मोदन सिंह यहां आए। उन्होंने गुरुवाणी में लिखी पंक्तियों से इस तीर्थ का मिलान किया। वर्ष 1937 में यहां यात्रा शुरू हुई। हेमकुंड साहिब में पहला गुरुद्वारा वर्ष 1936 में बनाया गया था। साल 1937 में गुरु ग्रंथ साहब की पहली अरदास हुई। उत्तराखंड के चमोली जनपद में हेमकुंड साहिब 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि हेमकुंड की यात्रा रोमांच से भरी होती है। यहां आसपास कई ऐसे पर्यटक स्थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस बार हेमकुंड साहिब के कपाट 22 मई को खोले जाएंगे।
सेना ने हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर अटलाकोटी के पास बर्फ काटकर रास्ता बनाया है। मौसम के बदलते मिजाज के कारण बार-बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। फिलहाल सेना क्षेत्र से बर्फ हटा चुकी है। उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खुल गए हैं। चारधाम यात्रा को लेकर तीर्थयात्रियों में खासा उत्साह दिख रहा है। यात्रा पर बढ़ी संख्या में तीर्थयात्री आ रहे हैं। बता दें कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट तीन मई, केदारनाथ धाम के कपाट छह मई और बदरीनाथ धाम के कपाट आठ मई को खोले गए हैं।