‘सरकार भारतीय भाषाओं में कानून बनाने की कर रही तैयारी, ताकि आम आदमी भी सबकुछ समझ सके’: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (23 सितंबर) को कहा कि उनकी सरकार जितना संभव हो सके आसान तरीके से और भारतीय भाषाओं में कानून बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास कर रही है. पीएम मोदी ने नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए गलत उद्देश्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के अलावा साइबर आतंकवाद और धन शोधन के बारे में भी चिंता जताई.
उन्होंने कहा कि ये खतरे सीमाओं और अधिकार क्षेत्र को नहीं पहचानते और उन्होंने इनसे निपटने के लिए विभिन्न देशों की कानूनी रूपरेखा के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया. पीएम मोदी बोले, ‘‘जब खतरा वैश्विक है तो उससे निपटने का तरीका भी वैश्विक होना चाहिए.’’
पीएम मोदी ने हवाई यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों की हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों के बीच सहयोग का उदाहरण दिया. साथ ही कहा कि इन खतरों से निपटने के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करना किसी एक सरकार या देश का काम नहीं है.
इस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, ब्रिटेन के न्याय संबंधी अधिकारी एलेक्स चॉक केसी, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट ने कई जज समेत कई अधिकारी उपस्थित थे.
कानून प्रणाली पर पीएम मोदी ने कहा कि कानून लिखने और न्यायिक प्रक्रिया में जिस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, वह न्याय सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है. उन्होंने विधि क्षेत्र के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत सरकार में हम लोग सोच रहे हैं कि कानून दो तरीकों से पेश किया जाना चाहिए. एक मसौदा उस भाषा में होगा जिसका आप इस्तेमाल करते हैं. दूसरा मसौदा उस भाषा में होगा जिसे देश का आम आदमी समझ सकता है. उन्हें अपनी भाषा में कानून समझ आना चाहिए.’’
पीएम मोदी बोले, “कानून को जटिल भाषा में बनाने का चलन रहा है. न्याय प्रणाली के जिस पहलू पर सबसे कम चर्चा की गई है वह भाषा और कानून को आसान बनाए जाना है. सरकार कानूनों को आसान और आम आदमी की समझ में आने लायक बनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन व्यवस्था उसी ढांचे में बनी है और वह उसे इस ढांचे से बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं. हमने डेटा सुरक्षा कानून के साथ इसकी शुरुआत कर दी है.’’
पीएम मोदी ने वादी को किसी भी फैसले का वस्तुनिष्ठ हिस्सा उसकी ही भाषा में उपलब्ध कराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी स्वागत किया. विधि समुदाय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “न्यायपालिका और बार भारत की न्याय प्रणाली के लंबे समय से संरक्षक रहे हैं और वे भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाते हैं. महात्मा गांधी, बीआर आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल भी वकील थे. यह सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारत कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बना है.”
संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह महिलाओं की अगुवाई में विकास को एक नई दिशा और ऊर्जा देगा. उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन और सफल चंद्रयान मिशन की भी बात की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है जिसके लिए उसे मजबूत और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता है. भारत पर दुनिया के बढ़ते विश्वास में निष्पक्ष न्याय की एक बड़ी भूमिका है.”