जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने विद्युत विभाग के हड़ताली कर्मचारियों को दी चेतावनी
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विद्युत विभाग के हड़ताली कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि सिस्टम को कुछ लोगों की मर्जी से नहीं चलाया जा सकता।
हड़ताली विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने कहा है कि जब तक बिजली क्षेत्र के निजीकरण को रोकने की उनकी मांग पूरी नहीं की, तब तक वह ड्यूटी पर नहीं आएंगे। उनकी ओर से ड्यूटी ज्वाइन किए जाने से इनकार करने के बाद, प्रशासन ने सेना को मैन पावर स्टेशनों और आपूर्ति के लिए बुलाया है।
पिछले तीन दिनों से एक अभूतपूर्व बिजली संकट ने जम्मू-कश्मीर को प्रभावित किया है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों लोग कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के बिना ही दिन और रात गुजार रहे हैं।
उपराज्यपाल सिन्हा ने इस अभूतपूर्व स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, मैं जम्मू-कश्मीर के 1.25 करोड़ नागरिकों को बताना चाहता हूं कि मैं बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल के कारण बिजली आपूर्ति में व्यवधान के कारण आपके दर्द को समझता हूं। प्रत्येक नागरिक के कल्याण की हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर की कई पीढ़ियों ने 24 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति पाने का सपना देखते हुए अपना जीवन बिताया है और हमने उस सपने को साकार करने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारों की साहसिक पहल की है।
सिन्हा ने आगे कहा, दुर्भाग्य से, जो लोग कई दशकों तक मामलों के शीर्ष पर थे, उन्होंने कुछ नहीं किया। वे नहीं चाहते थे कि लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए व्यवस्था बेहतर हो।
उन्होंने कहा, उन लोगों के साथ बातचीत की गई है, जो हड़ताल पर थे और आज की तारीख में सरकार की ओर से कोई बकाया/वेतन लंबित नहीं है।
राज्यपाल ने कहा, मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन कुछ लोगों ने आलोचना की है कि सेना को बिजली बहाल करने के लिए बुलाया गया है। आरईसी, एनटीपीसी, एनएचपीसी के कार्मिक और सेना इंजीनियरिंग कोर के अधिकारी भी आए हैं। यह केवल हमारी प्रतिबद्धता को दशार्ता है कि हमने कल 60 प्रतिशत बिजली बहाल कर दी और कल तक हम 100 प्रतिशत बहाली हासिल कर लेंगे।
उन्होंने कहा, हमारे लोगों की मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
राज्यपाल ने आगे कहा, पूरे देश में बिजली क्षेत्र में जबरदस्त काम किया गया है, ग्रामीण क्षेत्रों में अब 20-22 घंटे बिजली मिल रही है। दुर्भाग्य से, जम्मू-कश्मीर अभी भी इससे वंचित है। हमने उस दिशा में प्रयास किए हैं। आप में से अधिकांश जानते हैं कि हमारी संचयी उत्पादन क्षमता लगभग 3500 मेगावाट है, भले ही केंद्र शासित प्रदेश में 20000 मेगावाट उत्पन्न करने की क्षमता है। पिछले 6-8 महीनों में, प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमने एनएचपीसी के साथ जो समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, वे निश्चित रूप से अगले 4-5 वर्षों में 3500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
उन्होंने कहा, देश में बिजली की कोई कमी नहीं है, लेकिन यूटी के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में बाहर से बिजली ले जाने की सीमित क्षमता है। हमने उस दिशा में काम किया है और उस विशिष्ट क्षमता निर्माण योजना का 40 प्रतिशत हासिल करने में सक्षम हैं।
सिन्हा ने कहा, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने हमेशा हमें अपना समर्थन दिया है और पिछले 14 महीनों में, हमने पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 236 परियोजनाएं पूरी की हैं और बाकी को भी समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा। इससे मुझे पीड़ा होती है कि देश के अन्य हिस्सों में भारी प्रगति के बावजूद, जम्मू-कश्मीर के लोग सभ्य जीवन जीने के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं से वंचित रहे हैं।
उन्होंने कहा, अगर कुछ लोगों को लगता है कि सिस्टम उनकी मर्जी और पसंद के अनुसार काम करेगा, तो इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। सिस्टम बिना किसी भेदभाव के 1.25 करोड़ नागरिकों के लिए काम करेगा। यूटी प्रशासन का हर कदम जम्मू-कश्मीर के 1.25 करोड़ नागरिकों की बेहतरी के लिए है।
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