एक साल पहले मरी हुई मां के साथ रह रही थी दो बहनें, कंबल से ढक रखा था कंकाल; जानें कैसे खुला राज
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दिल दहला वाली वारदात सामने आई है। परिवार और समाज से सारे रिश्ते तोड़कर दो सगी बहनें घर में ही कैद हो गई। साथ ही दोनों बहनों ने मृतक मां के शव के कंकाल को एक साल से घर में छिपाए रखा। 27 साल की पल्लवी और 19 साल की वैष्णवी सालभर पहले मर चुकी मां के साथ रह रही थीं। पल्लवी और वैष्णवी की मां उषा तिवारी की मौत 8 दिसंबर 2022 को हो गई थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों को दोनों बहनों ने बता दिया था कि उनका अंतिम संस्कार हमने कर दिया है।
दोनों बहनें मरी हुई मां के जेवर और बर्तन बेच कर अपना गुजारा कर रही थीं। किसी को भी अपने मकान के अंदर आने नहीं देती थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों से भी पूरी तरह संबंध तोड़ चुकी थीं। इन युवतियों ने जब कुछ दिनों से खुद को कैद कर लिया और घर से निकलना बंद कर दिया तो लोगों को शक हुआ। पड़ोसी ने युवतियों के मौसा को फोन कर सारे मामले की जानकारी दी, जो कि मिर्जापुर में रहते हैं। धर्मेंद्र त्रिपाठी लंका थाने के इंस्पेक्टर शिवाकान्त मिश्रा के साथ मकान पर पहुंचे। साथ ही डीपी काशी जोन आरएस गौतम भी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने जबरदस्ती दरवाजा खुलवाया तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए।
थाना प्रभारी ने बताया कि घर पर एक कंकाल चादर और कंबल में लिपटा हुआ मिला। पूछताछ के बाद इतना समझ में आ रहा है कि माता-पिता के गुजर जाने के बाद दोनों बेटियों की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसकी वजह से इतने दिनों तक अपने मां के शव को छुपाकर रखा। पूछताछ पर युवतियों ने बताया कि संसाधन के अभाव में उन्होंने मां का अंतिम संस्कार नही किया। बता दें कि बलिया के रामकृष्ण पांडेय ने तीन बेटियों में सबसे बड़ी ऊषा की शादी बलिया में देवेश्वर तिवारी के साथ 30 साल पहले की थी। पति से अनबन होने पर ऊषा दोनों बेटियों पल्लवी व वैष्णवी के साथ पिता के घर मदरवां के मकान में रहने लगीं। पल्लवी ने एमकॉम किया है। वैष्णवी ने हाई स्कूल करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। बिहार में एसीसी सीमेंट से रिटायर होने के बाद रामकृष्ण ने घर के पास ही कॉस्मेटिक की दुकान खोली थी।
पल्लवी का व्यवहार ठीक नहीं होने के कारण रामकृष्ण करीब डेढ़ साल पहले सबसे छोटी बेटी उपासना के घर लखनऊ में रहने लगे। पल्लवी ने दुकान तो संभाली, लेकिन चला नहीं पाई। आठ दिसंबर, 2022 को मां ऊषा की मौत हो गई। दो महीने पहले रामकृष्ण आए थे, लेकिन पल्लवी ने घर में घुसने नहीं दिया। रामकृष्ण ने जाने से पहले पड़ोसी रमेश सिंह को अपना नंबर दे दिया था, ताकि जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके।