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साउथ सिनेमा के दिग्गज फिल्म निर्माता के. विश्वनाथ का 92 साल की उम्र में निधन

नई दिल्ली : साउथ सिनेमा के दिग्गज तेलुगु फिल्म निर्माता के. विश्वनाथ का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। के. विश्वनाथ ने गुरुवार को हैदराबाद में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता के. विश्वनाथ उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। वह 92 वर्ष के थे। के. विश्वनाथ को शंकरभर्नम, सागर संगमम, स्वाति मुथ्यम और स्वर्ण कमलम जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों के लिए जाना जाता था। 1992 में विश्वनाथ को पद्म श्री और 2017 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने चार दशक से अधिक के करियर में आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे।

विश्वनाथ ने मद्रास में वाउहिनी स्टूडियो के लिए एक ऑडियोग्राफर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। साउंड इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद विश्वनाथ ने फिल्म निर्माता अदुर्थी सुब्बा राव के तहत अपना फिल्म मेकिंग में करियर को शुरू किया। 1951 की तेलुगु फिल्म पत्थल भैरवी में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। ये उनकी पहली फिल्म थी।

विश्वनाथ ने अपने डायरेक्शन की शुरुआत 1965 की फिल्म आत्मा गोवरवम से की, जिसने राज्य नंदी पुरस्कार जीता। 1980 में के. विश्वनाथ की फिल्म शंकरभर्नम काफी मशहूर हुआ। फिल्म के बाद विश्वनाथ हर जगह फिल्म की अविश्वसनीय सफलता के लिए बुलाए जाने लगे। फिल्म ने दो अलग-अलग पीढ़ियों के लोगों के दृष्टिकोण के आधार पर कर्नाटक संगीत और पश्चिमी संगीत के बीच के अंतर को दिखाया था। फिल्म शंकरभर्नम ने चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। इसे बाद में हिंदी में विश्वनाथ द्वारा निर्देशित सूर संगम के रूप में बनाया गया था।

शंकरभर्नम की सफलता के बाद, विश्वनाथ ने कई और फिल्में बनाई, जिसकी थीम कला, विशेष रूप से संगीत रखी गई। इनमें से कुछ फिल्मों में सागर संगमम, स्वाति किरणम, स्वर्ण कमलम, श्रुतिलायलु और स्वराभिषेकम है। इन सारी फिल्मों में कला और संगीत थीम है।

विश्वनाथ की 1985 में आई तेलुगु फिल्म स्वाति मुथ्यम काफी चर्चाओं में रही। इस फिल्म में कमल हासन थे। जिन्हें एक ऑटिस्टिक व्यक्ति के रूप में दिखाया गया था, जोकि एक युवा विधवा महिला के बचाव में खड़ा होता है। अकादमी पुरस्कारों के लिए इस फिल्म को नॉमिनेट किया गया था।

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