उत्तर प्रदेशराज्य

ट्विन टावर वाली जमीन पर क्या बनेगा? सुपरटेक ने बताया, RWA की मांग- पार्क और मंदिर बने

नोएडा : उत्तर प्रदेश के नोएडा में ध्वस्त किए गए ट्विन टावर की जमीन के इस्तेमाल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। सुपरटेक लिमिटेड यहां एक अन्य रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट पर काम करना चाहता है। कंपनी ने बताया कि इसके लिए नोएडा अथॉरिटी से मंजूरी और एमराल्ड कोर्ट के होमबॉयर्स की सहमति मिलने का इंतजार है। सुपरटेक के अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर आरके अरोड़ा ने कहा कि ट्विन टावर्स (एपेक्स और सेयेन) नोएडा प्राधिकरण की ओर से आवंटित भूमि पर निर्मित सेक्टर 93 ए में एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का एक हिस्सा हैं।

अरोड़ा ने कहा, ‘नोएडा अथॉरिटी की ओर से 2009 में दो टावर्स समेत प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान को मंजूरी मिली थी, जो कि उस समय के नियमों के आधार पर थी। बिल्डिंग प्लान के हिसाब से ही काम हुआ और अथॉरिटी को पूरा पेयमेंट करने के बाद बिल्डिंग का निर्माण किया गया। अब दोनों टावर गिरा दिए गए हैं और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक हमने इसके लिए एजेंसियों को 17.5 करोड़ रुपये चुकाए हैं।’

सुपरटेक के एमडी ने बताया कि ट्विन टावर में घर खरीदने वालों में 95 फीसदी के पैसे लौटा दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘पांच फीसदी जो लोग बचे हैं, उन्हें हम प्रॉपर्टी दे रहे हैं या फिर ब्याज के साथ धन वापस कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरा पालन किया जा रहा है।’

दूसरी तरफ, टि्वन टावर को जमींदोज कराने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाली सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी की आरडब्ल्यूए ने नया ऐलान किया है। आरडब्ल्यूए अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया ने कहा कि आरडब्ल्यूए और सोसायटी के निवासी खाली हुई जमीन पर किसी भी निर्माण के लिए बिल्डर को सहमति नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि टि्वन टावर की जमीन पर एक छोटा ग्रीन पार्क, बच्चों के खेलने का मैदान और एक मंदिर बनाने की योजना है। इसके लिए जल्द ही बैठक कर पूरी सोसायटी के निवासियों की सहमति ली जाएगी।

वहीं, ट्विन टावर के 30 हजार टन मलबे का रिसाइकिल ‘रि-सस्टेनेबिलिटी’ कंपनी करेगी। इस मलबे को निर्माण सामग्री में बदला जाएगा। करीब 100 मीटर ऊंचे दो टावरों को रविवार 28 अगस्त को गिरा दिया गया था। इसे ध्वस्त करने में 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ।

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