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चुनाव आयोग की रडार पर है PFI की राजनीतिक शाखा, चंदे को लेकर दी गलत जानकारी

नई दिल्ली : देशविरोधी, कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन कर दिया है। वहीं केरल के पीएफआई संगठन सचिव ने कहा है कि पीएफआई को भंग कर दिया गया है। इससे जुड़े 8 अन्य संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) गृह मंत्रालय की कार्रवाई से बच गई है। सूत्रों के मुताबिक एसडीपीआई और पीएफआई के गहरे संबंध हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय के ऐक्शन से एसडीपीआई इसलिए छूट गई क्योंकि यह एक रजिस्टर्ड पार्टी है। हालांकि अगर पार्टी के नेता पीएफआई के साथ मिलकर काम करते हैं या फिर देश में घृणा फैलाने की कोशिश करते हैं, गलत तरीके से फंड इकट्ठा करते हैं तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। गृह मंत्रालय की अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया है कि भविष्य में संगठन से जुड़े लोगों पर यूएपीए के तहत सख्त कार्रवाई होगी। वहीं नोटिफिकेशन में आठ संगठनों का जिक्र किया गया था लेकिन बैन होने वाले संगठन और भी हो सकते हैं।

रजिस्टर्ड पार्टी होने की वजह से हो सकता है कि एसडीपीआई पर चुनाव आयोग कार्रवाई करे। गृह मंत्रालय के इनपुट के आधाक पर चुनाव आयोग इस पार्टी को बैन भी कर सकता है। यह पार्टी चुनाव आयोग के रडार पर पहले से ही है क्योंकि 2018-19 और 2019-20 के चंदे की जानकारी एसडीपीआई ने नहीं दी थी। पार्टी का कहना था कि इन दोनों सालों में 20 हजार रुपये से भी कम चंदा मिला है। हालांकि ऑडिटेड अकाऊंट में 5 करोड़ और 4 करोड़ की राशि दिखाई गई थी।

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