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हाई ब्लड प्रेशर, शुगर वाले मरीजों को है कोरोना से ज्यादा खतरा: विशेषज्ञ

देश में कोरोना के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस (Delta Plus) के मामले मिलने लगे हैं. इन मामलों को देखते हुए कुछ राज्यों ने एक बार फिर प्रतिबंधो (Lockdown) को लगाना शुरु कर दिया गया है. कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट काफी तेजी से पैर पसार रहा है. इसने देश के कई राज्यों में दस्तक दे दी है. जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश समेत 12 राज्यों में इसके 50 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं.

वहीं कर्नाटक (Karnataka) ने महाराष्ट्र (Maharastra) में मिल रहे मामले को देखते हुए एक बार फिर से राज्य में एंट्री से पहले नेगेटिव RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट की मांग कर दी है. हालांकि अबतक विशेषज्ञों को यह पता नहीं चला है कि ये वेरिएंट अन्य वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलता है. एक्सपर्ट ने कहा कि फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के नियमों का पालन करने और वैक्सीनेशन (Vaccination) लगवाना ही इस वारस से बचने का सबसे कारगर तरीका है.

वहीं विशेषज्ञों ने बार-बार लोगों को शरीर के शुगर लेवल (Sugar Level) के स्तर को नियंत्रण में रखने की सलाह दी है. ब्लैक फंगस ( से इंफेक्टेड होने के बाद देश के विशेषज्ञों ने लोगों को शुगर लेवल नियंत्रण में रखने की सलाह दी है. कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा शुगर के मरीजों को ही होता है. पिछले दो लहरों के मरीजों को देखे तो सबसे ज्यादा मरने वाले मरीज शुगर, हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट की बीमारी से पीड़ित थे. इस साल मार्च में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मधुमेह और हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए एक विस्तृत कोविड गाइडलाइन जारी कि थी.

सामान्य लोगों की तुलना में मधुमेह रोगी को ज्यादा खतरा

हर्ट पेशेंट, मधुमेह या हाई ब्लडप्रेशर वाले लोगों को किसी और की तुलना में कोविड-19 संक्रमण होने का अधिक खतरा नहीं होता है. इस बीमारियों से ग्रसित लोग कोरोना संक्रमण के ज्यादा गंभीर लक्षण और जटिलताएं विकसित कर सकते हैं. एक्सर्ट की माने तो हाई शुगर लेवल वाले लोग पर इस वायरस का असर समान्य संक्रमित लोगों की तुलना में ज्यादा हो सकता है. डॉक्टरों ने सलाह दी है कि शुगर, बीपी हृदय रोग वाले मरीजों को सभी दवाओं का नियमित सेवन करते रहना चाहिए. किसी भी दवा को छोड़ने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

क्या बीपी की दवाएं कोविड-19 की गंभीरता को बढ़ाती हैं?

आईसीएमआर ने अपनी आखिरी गाइडलाइन में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है. “उपलब्ध जानकारी की समीक्षा के बाद, विभिन्न वैज्ञानिक समाजों और कार्डियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ समूह की आम सहमति यह है कि वर्तमान में कोई सबूत नहीं है कि बीपी की दवाएं कोविड -19 की संवेदनशीलता या गंभीरता को बढ़ाते हैं. डॉक्टरों ने कहा कि मरीज के उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने लिए बहुच जरूरी है. डॉक्टरों ने कहा कि इन दवाओं को अपने आप बंद करना हानिकारक हो सकता है. आईसीएमआर ने पहले भी कहा था कि बीपी की दवाओं को बंद करना मरीज के दिल की स्थिति खराब कर सकता है.

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