रेलवे की लेटलतीफी से परेशान यात्री भले ही रेलवे को कोसते हों लेकिन अब भारतीय रेल हाईस्पीड ट्रेन चलाने के सपने को साकार करती दिख रही है। जल्द ही अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 12 डिब्बों वाली तेजस 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से रेल ट्रैक पर दौड़ती नजर आ सकती है।
चीन, स्वीडन, जर्मनी और रूस की तर्ज पर भारतीय रेल ने बिहार के मधेपुरा में 12 हजार हॉर्सपावर से ज्यादा ताकत वाले रेल इंजन का निर्माण कर लिया है। पंजाब के कपूरथला रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) ने 12 डिब्बों की देश की पहली रैक का निर्माण कर लिया है, जो 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मौजूदा ट्रैक पर दौड़ सकती है। इसके निर्माण में 39 करोड़ की लागत आई है।
आरसीएफ के इंजीनियरों ने शक्तिशाली तेजस इंजन के लिए 12 डिब्बे तैयार किए हैं जो सुरक्षा और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। उत्तर रेलवे इसी महीने दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर शताब्दी ट्रेन के डिब्बों को हटाकर इस नई तेजस रैक को उतारने की योजना बना रहा है।
उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि बाद में सभी शताब्दी ट्रेनों के डिब्बों को हटाकर तेजस के इस नए कोच से बदल दिया जाएगा। इससे पहले मुंबई से गोवा के रूट पर तेजस एक्सप्रेस चल रही है, जिसकी अधिकतम स्पीड 180 किमी है।
तेजस के नए डिब्बों की खासियतें:- पूरी ट्रेन साउंड प्रूफ है, ट्रेन के गेट ऑटोमेटिक हैं।
वाई-फाई, सीट के पीछे टच स्क्रीन एलईडी, स्मोक डिटेक्टर, सीसीटीवी।
वीनीशन विंडो- यह आकार में बड़ा है। बेहतर दृश्य, धूप से बचाव के लिए लगे पर्दे पॉवर से चलेंगे।
ट्रेन में बायो वैक्यूम टॉयलेट, इंगेजमेंट बोर्ड, हैंड ड्रायर की सुविधा मुहैया कराई गई है।
एक्जीक्यूटिव क्लास में ज्यादा आराम के लिए सीट के पीछे सर टिकाने के लिए हेडरेस्ट, पैरों के लिए फूटरेस्ट दिए गए हैं। पैसेंजर सो कर जा सकते हैं। लेटने के लिए अत्यंत सुविधाजनक सीट तैयार की गई है।
स्टेशनों के बारे में और दूसरी सूचनाएं माइक के अलावा एलईडी पर भी मिलेगी।
सीट और कोच के छत के निर्माण में नारंगी और पीले रंग का इस्तेमाल किया गया है।
कोच में तेजस यानी सूर्य के नारंगी और पीले रंग की ही इनडोर इंटीरियर विनाइल लगाई गई है। इसकी सीट, छत का भी निर्माण नारंगी और पीले रंग की विदेशी स्पॅाज और फेब्रिक से तैयार किया गया है, जिससे बाहरी कोच की तरह अंदर के रंग भी दिखे।