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अभी-अभी सामने आया यूरिया घोटाला: तुर्की के दो नागरिकों पर सौ-सौ करोड़ का जुर्माना

23 साल पुराने 133 करोड़ रुपये के यूरिया घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तुर्की के दो नागरिकों पर 100-100 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका। भ्रष्टाचार के मामले में लगाए गए सबसे बड़े जुर्माने में से इसे एक माना जा रहा है। कोर्ट ने दोनों को छह-छह साल की कठोर कारावास की सजा भी सुनाई। इस मामले में दोषी ठहराए गए लोगों में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव के रिश्तेदार संजीव राव और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलखन सिंह यादव का बेटा प्रकाश चंद्र यादव भी शामिल है।

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सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि तीस हजारी अदालत ने इस मामले में सजा और जुर्माने का एलान किया। दोषी ठहराए गए लोगों में तुर्की के दो नागरिक तनकेय अलांकस और चिहान करांसी भी हैं। ये दोनों कार्सन लिमिटेड कंपनी के पूर्व एक्जीक्यूटिव हैं। इसके अलावा इस कंपनी के भारतीय प्रतिनिधि एम संबाशिवा राव, नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) के पूर्व सीएमडी सीके रामकृष्णन, एनएफएल के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर दिलबाग सिंह कंवर, डी मल्लेसाम गौड़ को भी दोषी ठहराया गया।

इन्हें इतनी सजा और जुर्माना
कोर्ट ने रामकृष्णन और कंवर को तीन-तीन साल की कैद और छह लाख का जुर्माना, संबाशिवा राव व गौड़ को तीन-तीन साल की कैद और पांच-पांच करोड़ का जुर्माना लगाया है। वहीं राव और यादव को तीन-तीन साल कैद और एक-एक करोड़ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

1996 में दर्ज हुआ था मामला
सीबीआई ने 19 मई 1996 को यूरिया घोटाले का मामला दर्ज किया था। आरोप था कि दोषियों ने आपराधिक साजिश करके नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड के साथ फर्जीवाड़ा किया और कंपनी को 133 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। कंपनी ने इस मामले में 1997 को चार्जशीट दाखिल की थी।

ऐसे रची गई साजिश
इस साजिश में तनकेय अलांकस ने साथ दिया और 9 जनवरी 1995 को 190 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की दर से 2 लाख मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई के लिए करार किया गया। इसके तहत कुल 3.80 करोड़ डॉलर का पूर्व भुगतान भी ले लिया जो करीब 133 करोड़ रुपये के बराबर था। अलांकस को 2 नवंबर 1995 को बीमा के एवज में 3 लाख 80 हजार डॉलर का अग्रिम भुगतान किया गया जबकि 14 नवंबर 1995 को एनएफएल की ओर से 3.762 करोड़ डॉलर का भुगतान किया गया। यह राशि कार्सन लिमिटेड के स्विट्जरलैंड स्थित पिक्टेट बैंक खाते में 29 नवंबर 1995 को डाली गई थी लेकिन उन्होंने कंपनी को यूरिया की सप्लाई नहीं की।

भारतीयों को हवाला से मिली रकम
सीबीआई ने आरोप लगाया कि अलांकस ने बेईमानी से रकम विभिन्न विदेशी खातों और करांसी के खाते में भेज दी। साथ ही इस घोटाले में शामिल भारतीयों को उनकी हिस्से की रकम हवाला के जरिए मिली।

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