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असहिष्‍णुता पर आज संसद में हंगामे के आसार, मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

96055-parliament-mनई दिल्‍ली : संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को जोरदार हंगामा होने के आसार नजर आ रहे हैं। दोनों सदनों में आज देश में बढ़ती असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा होगी। कांग्रेस, लेफ्ट और जेडीयू ने असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस का नोटिस दिया है। वहीं, कांग्रेस लोकसभा में नियम 193 के तहत बहस चाहती है। दूसरी ओर, महंगाई और नेपाल समस्‍या पर भी सरकार को घेर सकता है विपक्ष।

 एक तरफ सरकार संसद में सोमवार से शुरू हो रहे मुश्किल भरे सप्ताह का सामना करने के लिए कमर कस रही है क्योंकि दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने समाज में ‘असहिष्णुता’ पर बहस के लिए नोटिस दिए हैं और कुछ मंत्रियों की कथित उकसावे वाली टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। राज्यसभा में कांग्रेस और जदयू ने नियम 267 के तहत कामकाज निलंबित कर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। लोकसभा में कांग्रेस और माकपा ने नियम 193 के तहत चर्चा कराने के लिए नोटिए दिए हैं जिसमें मतविभाजन नहीं कराया जाता या कामकाज निलंबित करने की जरूरत नहीं होती।

लोकसभा में यह मामला सोमवार के लिए सूचीबद्ध है। जबकि राज्यसभा में दलित नेता डा. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर आयोजित समारोहों के तहत ‘भारत के संविधान के लिए प्रतिबद्धता’ पर 27 नवंबर को वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा शुरू की गई एक बहस चल रही है जिसके संपन्न होने के बाद असहिष्णुता के मद्दे पर चर्चा के लिए हंगामा सप्ताह में किसी भी दिन हो सकता है। संसद का शीतकालीन सत्र 26 नवंबर से शुरू हुआ है और शुरुआती दो दिन कोई हंगामा नहीं हुआ क्योंकि राजनीतिक दल अंबेडकर की जयंती पर संविधान पर हो रही चर्चा में कोई बाधा नहीं डालना चाहते। हालांकि विपक्ष ने सरकार पर कथित बढ़ती असहिष्णुता और सांप्रदायिक हिंसा को लेकर हमला बोला है। एक विपक्षी दल के एक नेता ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध पर कहा कि असली टकराव तो इस हफ्ते होगा जब सरकार सदन के पटल पर अपने कामकाज का एजेंडा रखेगी। कांग्रेस, जदयू, माकपा, भाकपा और तृणमूल कांग्रेस ने अलग अलग नोटिस दिए हैं जिनमें मत विभाजन के बिना चर्चा करने, सदन द्वारा एक प्रस्ताव पारित करने एवं कथित उकसावे वाले भाषण देने के कारण कुछ मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करता है कि विपक्ष के मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया कैसी रहती है।

कांग्रेस के नोटिस सदन में विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा की ओर से दिए गए हैं और पार्टी की योजना ‘भय का माहौल पैदा करने के लिए कथित अभियान’ चलाए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोलने की है। पार्टी प्रख्यात लेखकों और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा अवार्ड लौटाए जाने का मुद्दा भी उठाएगी। शर्मा के नोटिस में सदन द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले की निंदा करने की मांग भी की गई है। जदयू के महासचिव के सी त्यागी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत एक अलग नोटिस दिया है। पार्टी ने कथित उकसावे वाली टिप्पणियों के लिए पांच केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे मांगने का फैसला भी किया है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी राज्यसभा में एक नोटिस दे कर एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित कर ‘असहिष्णुता’ की घटनाओं की निंदा करने की मांग की है और सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ऐसा फिर न हो। लोकसभा में माकपा सदस्य पी करूणाकरन और कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल के नोटिस सोमवार को मुद्दे पर चर्चा के लिए सूचीबद्ध हैं। ज्ञात हो कि विपक्ष पिछले कुछ समय से असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है।

‘बढ़ती असहिष्णुता’ पर अभिनेता आमिर खान की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में गत 25 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर यह कहते हुए शीघ्र बहस की वकालत की है कि लेखकों, कलाकारों और फिल्मी हस्तियों द्वारा अवार्ड लौटाए जाने को हल्के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।

वहीं, ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से समन्वय कायम करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार संसद के चालू सत्र में असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है, बशर्ते विपक्ष सदन की कार्यवाही चलने दे। नायडू ने यह आरोप भी लगाया विपक्षी पार्टियां और कुछ ‘छद्म बुद्धिजीवी कांग्रेस और उसके दोस्तों द्वारा शासित राज्यों’ में हुई छिटपुट घटनाओं को ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ पेश कर रहे हैं। उनका मकसद ऐसे समय में भारत की छवि को ‘धूमिल’ करना है जब देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हासिल करने की कोशिशें कर रहा है। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है बशर्ते विपक्ष सहिष्णुता दिखाए और सदन को चलने दे। कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों को इस बात की चिंता है कि सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संगठनों पर उनकी पकड़ ढीली हो रही है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बनावटी विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता पर चलाया जा रहा पूरा अभियान और कुछ नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार को बदनाम करने की मुहिम है।

 

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