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आज है प्रदोष व्रत, इस कथा को पढ़ने-सुनने से भगवान शिव होंगे प्रसन्न

Som Pradosh Vrat 2021: आज 07 जून को ज्येष्ठ मास का पहला सोम प्रदोष व्रत है. प्रदोष जब सोमवार को होता है, तब उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष व्रत हर त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है. जिन लोगों को चंद्रमा नुकसान पहुंचा रहें, उन्हें प्रदोष व्रत रखना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में शांति और मन वांछित फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि निःसंतान दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत को जरूर रखना चाहिए.

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. यही प्रदोष काल होता है. शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए पूजा स्थल पर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद शिवजी को बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा, श्वेत पुष्प, मौसमी फल, शहद, गाय का दूध और गंगा जल अर्पित करें. महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं. तत्पश्चात आरती करें और प्रसाद वितरण करें.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ रहती थी और भीख मांगकर अपना एवं अपने पुत्र का पालन पोषण करती थी. एक दिन घर लौटते समय उसे रास्ते में घायल अवस्था में एक बालक मिला. वह बालक विदर्भ का राजकुमार था. शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर नियंत्रण कर बालक के पिता को बंदी बना लिया और बालक को घायल अवस्था में वहीं छोड़ दिया. अब राजकुमार ब्राह्मणी -पुत्र के साथ उसके घर रहने लगा.

एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई. कुछ दिनों बार भगवान शिव ने अंशुमति के माता-पिता को स्वप्न में आदेश दिया कि वे राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दें. उन्होंने ऐसा ही किया. ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ भी किया करती थी. इसके प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता को शत्रुओं के चंगुल से मुक्त कराया. राजकुमार ने ब्राह्मणी-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया.

 

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