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आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री ने दिया पांच ‘आई’ का फॉर्मूला, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है लक्ष्य

संकट की इस घड़ी में मेरे इस कॉन्फिडेंस के कई कारण है। मुझे भारत की क्षमता, टेलेंट, तकनीक, इनोवेशन, क्राइसिस मैनेजमेंट, उद्यमियों, इंडस्ट्री लीडर्स पर भरोसा है : मोदी

नई दिल्ली : महामारी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए सरकार की ओर से लगातार कोशिशें जारी हैं। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय उद्योग परिसंघ की सालाना बैठक को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानम़ंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार प्राइवेट सेक्टर को देश की विकास यात्रा में साझीदार मानती है। उन्होंने कहा, भारत को फिर से तेज़ विकास के पथ पर लाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 5 चीजें बहुत ज़रूरी हैं। ये पांच चीजें हैं- इंटेंट यानी इरादा, इन्क्लूजन यानी समावेशन, इन्वेस्टमेंट यानी निवेश, इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचा और इनोवेशन यानी नवोन्मेष। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़े हितधारकों की हर जरूरत का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा, आपसे, सभी स्टेकहोल्डर्स से मैं लगातार संवाद करता हूं और ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश और किसानों के साथ पार्टनरशिप का रास्ता खुलने का भी पूरा लाभ उठाएं।

प्रधानमंत्री ने कहा, अब तो गांव के पास ही लोकल एग्रो प्रोडक्ट्स के क्लस्टर्स के लिए ज़रूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। इसमें सीजेआई के तमाम मेंबर्स के लिए बहुत अवसर हैं। उन्होंने कहा, देश आज मेट्रो के कोच निर्यात कर रहा है। देश ने वंदे भारत जैसी ट्रेन बनाई है। पिछले तीन महीने में ही पीपीई की करोड़ों की इंडस्ट्री भारतीय उद्यमियों ने ही खड़ी की है। मोदी ने कहा, मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ 3 महीने के भीतर ही पीपीई की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में मेक इन इंडिया को रोजगार का बड़ा माध्यम बनाने के लिए कई प्राथमिक सेक्टर्स की पहचान की गई है। तीन सेक्टर पर काम शुरू भी हो चुका है। पीएम मोदी ने कहा, ‘जरूरत है कि देश में ऐसे उत्पाद बनें, जो मेड इन इंडिया हो और मेड फॉर द वर्ल्ड हो।’ प्रधानमंत्री ने कहा, हमें अब एक ऐसी मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में निवेश करना है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी को मजबूत करे। इस अभियान में सीजेआई जैसी दिग्गज संस्था को भी कोरोना के बाद नई भूमिका में आगे आना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भारतीय इंडस्ट्री के पास एक साफ रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत का रास्ता। आत्मनिर्भर भारत विश्व अर्थव्यवस्था के साथ पूरी तरह इंटीग्रेटेड और सपोर्टिव भी होगा। हमें एक ऐसी लोकल सप्लाई चेन का निर्माण करना है, जो ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भागीदारी अदा करे।’ उन्होंने कहा, विश्व एक विश्वसनीय भागीदार की तलाश में है, भारत में क्षमता है, ताकत है।

आज पूरे विश्व में भारत के प्रति जो विश्वास बहाल हुआ है, उसका आप सभी को, भारत की उद्योग को पूरा फायदा उठाना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत का मतलब है कि हमें और ज्यादा मजबूत होकर दुनिया को दिखाना है। पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत ने कोरोना संकट के समय में 150 से अधिक देशों को दवाइयां भेजकर मानवता की भलाई का काम किया है। आज विश्व में भारत के प्रति जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका फायदा उद्योग जगत को उठाना चाहिए। हमारे श्रमिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए श्रम सुधार भी किए जा रहे हैं। जिन गैर-रणनीतिक क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को इजाजत ही नहीं थी, उन्हें भी खोला गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, सरकार जिस दिशा में बढ़ रही है, उससे हमारा खनन क्षेत्र हो, ऊर्जा क्षेत्र हो या रिसर्च और तकनीक हो, हर क्षेत्र में इंडस्ट्री को भी अवसर मिलेंगे और युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

एमएसएमईएस की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग लंबे समय से उद्योग जगत कर रहा था, वो पूरी हो चुकी है। इससे एमएसएमईएस बिना किसी चिंता के अपना कारोबार कर सकेंगे और उनको एमएसएमईएस का स्टेट्स बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों पर चलने की ज़रूरत नहीं रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘देश के रणनीतिक क्षेत्र में भी प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी एक रियलिटी बन रही है। स्पेस, परमाणु ऊर्जा जैसे सेक्टर में भी हर अवसर उद्यमियों का इंतजार कर रहा है। एमएसएमई की परिभाषा को बदलने की मांग काफी लंबे समय से हो रही थी। हमारी सरकार ने यह काम किया है।’ श्रमिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए लेबर रिफॉर्म्स भी किये जा रहे हैं। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के रास्ते पर चलते हुए हम वे फैसले भी ले रहे हैं, जिनकी मांग वर्षों से हो रही थी।


जिसके पास कोयले का इतना बड़ा भंडार हो, फिर भी उस देश में बाहर से कोयला आए, यह सोचने वाली बात है। कभी सरकार रुकावट बनी रही और कभी नीतियां। सरकार ने कोल सेक्टर को इन बंधनों से मुक्त करने का काम किया है। कृषि में आजादी के बाद जो नियम कायदे बनें, उनमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था। किसानों के साथ दशकों से हो रहे अन्याय से मुक्त करने के लिए सरकार ने प्रयास किया है। किसान अब अपनी फसल अपनी शर्तों पर बेच सकता है। वह किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसल को बेच सकता है।
कोरोना के खिलाफ अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करना, हमारी उच्च प्राथमिकता में से एक है। इसके लिए सरकार जो निर्णय अभी तुरंत लिए जाने जरूरी हैं, वो ले रही है। और साथ में ऐसे भी फैसले लिए गए हैं जो लम्बे समय में देश की मदद करेंगे। इन फैसलों के तहत हमने तमाम सेक्टर्स को भविष्य के लिए तैयार किया है। हमारे लिए रिफॉर्म्स सिस्टमैटिक, प्लांट, इंटीग्रेटेड और इंटरकनेक्टेड रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत को फिर से तेज़ विकास के पथ पर लाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 5 चीजें बहुत ज़रूरी हैं। इंटेंट, इन्क्लूजन, इन्वेस्टमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इनोवेशन। मोदी ने कहा कि 50 लाख कर्मचारियों के पीएफ खाते में सरकार ने 24 फीसद पीएफ का अंशदान किया है। कोरोना के खिलाफ इकोनॉमी को फिर से मजबूत करना हमारी उच्चतम प्राथमिकताओं में प्रमुख है। हमने ऐसे भी फैसले लिये हैं, जो लंबे समय में देश की मदद करेंगे।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से 74 करोड़ लाभार्थियों के घर तक राशन पहुंचा है। प्रवासी मजदूरों के घर भी राशन पहुंचाया जा रहा है। गरीबों को 53 हजार करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक मदद दी जा चुकी है। इस योजना से हर किसी को फायदा हुआ है। सरकार ने गरीबों को 8 करोड़ से अधिक सिलेंडर उनके घर तक पहुंचाए है। प्रवासी श्रमिकों के लिए फ्री राशन पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा अभी तक गरीब परिवारों को 53 हजार करोड़ रुपये को वित्तीय मदद दी जा चुकी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में भी मुझे पक्का विश्वास है कि आपके मन में भी मंथन चलता होगा, यह स्वाभाविक है।

कोरोना के बीच इकोनॉमी को मजबूती देना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। कोरोना ने अर्थव्यवस्था की गति को कितना भी धीमा किया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत कोरोना को पीछे छोड़कर अनलॉक-1 में पहुंच चुका है। दुनिया में जब कोरोना वायरस पैर फैला रहा था, तो भारत ने सही समय पर सही तरीके से सही कदम उठाएं हैं। भारत में लॉकडाउन का बड़ा व्यापक प्रभाव रहा है। भारत ने भौतिक संसाधनों को तैयार तो किया ही साथ ही मानव संसाधनों को भी बचाने का प्रयास किया है। भारत अनलॉक-1 में प्रवेश कर चुका है। इसमें इकोनॉमी का बहुत हिस्सा खुल चुका है। आठ जून से और चीजें खुलने वाली हैं। इस तरह गेटिंग ग्रोथ बैक की शुरुआत हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें एक तरफ इस वायरस से लड़ने के लिए सख्त कदम उठाने हैं, तो दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था को भी आगे बढ़ाना हैं। एक तरफ देशवासियों का ध्यान रखना है, तो दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था की भी रफ्तार देनी है।

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