दस्तक टाइम्स/एजेंसी: इस्लाम धर्म में जिंदगी का हर लम्हा रब की सौगात माना जाता है। इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनसे जुड़ी अच्छाइयों को भी दुआ और इबादत से जोड़ा गया है। खाना खाने से पहले अल्लाह का शुक्रिया अदा करना, कोई खुशी का लम्हा आए तो अल्लाह का आभार जताना, यहां तक कि रात को सोने से पहले भी एक खास तरीके से उस रब का अहसान माना जाता जिसने इन्सान को जिंदगी में वह दिन दिया। जानिए, हदीस के अनुसार सोने से पहले क्या कहना चाहिए।
हजरत हुजैफा (रजि.) और हजरत अबू जर (रजि.) से रिवायत है। वे कहते हैं कि जब अल्लाह के रसूल (सल्ल.) बिस्तर पर जाते तो यह कहते हैंः बिस्मि-कल- लाहुम्मा अह्या व अमूतु। (ऐ अल्लाह, मैं तेरे नाम के साथ जीता हूं और मरता हूं)- बुखारी
हजरत अबू हुरैरा (रजि.) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने कहाः जब तुममें से कोई अपने बिस्तर पर जाए तो उसे चाहिए कि वह अपने बिस्तर को अपने तहबंद के भीतरी हिस्से की तरफ से झाड़ दे क्योंकि उसे नहीं मालूम कि उसकी अनुपस्थिति में उस पर क्या चीज पड़ गई है। फिर कहना चाहिएः तेरे नाम के साथ मेरे रब मैं अपना पहलू (बिस्तर पर) रखता हूं और तेरे नाम के साथ ही उसे उठाऊंगा, यदि तू मेरे प्राण को रोक ले (यानी मेरी मृत्यु हो जाए), तो उस पर दया कर और यदि तू उसे छोड़ दे तो उसकी रक्षा कर जैसा कि तू अपने नेक बंदों की रक्षा करता है।
हजरत आइशा (रजि.) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) जब अपने बिस्तर पर आराम करते तो सूरह अल-फलक और सूरह अन-नास पढ़कर अपने हाथों पर फूंक मारते और अपने हाथों को अपने शरीर पर फेरते।
बुखारी, मुस्लिम की एक रिवायत में है – नबी (सल्ल.) हर रात जब अपने बिस्तर पर सो जाते तो अपनी दोनों हथेलियों को मिलाते, फिर उनमें फूंक मारते और और उनमें सूरह अल-इख्लास, सूरह अल-फलक और सूरह अन-नास पढ़ते और फिर जहां तक संभव होता अपने शरीर पर हाथ फेरते और इसका आरंभ सिर, चेहरे और अपने शरीर के सामने के भाग से करते। ऐसा आप तीन बार करते।