जैसा की हम सभी जानते है की बुजुर्ग होना अपने में ही एक बड़े सम्मान की बात होती है आदमी बुजुर्ग तब कहलाता है जब वो इस दुनिया में ज्यादा समय व्यतीत कर चूका ,उसे सही गलत का फर्क करना आ जाता है और तब लोग उसके जीवन से प्रेरणा ले कर अपना जीवन सही दिशा में ले जा सके लेकिन आज हमारे सामने मध्यप्रदेश के शिवपुर ,पटेल नगर का एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे जानने के बाद लोग इन दो बुजुर्ग बेटी और पिता पर थू थू कर रहे है |इन्होने ऐसा काम किया है जिसे जानने के बाद आप भी यही कहेंगे की इन्हें तो बुजुर्ग कहलाने तो दूर की बात है ये तो इन्सान कहलाने के लायक भी नहीं है
आपको बता दे इस मामले में अपनी मां शकुतंला अग्रवाल के नाम पर शकुतंला परमार्थ समिति के तहत अनाथ आश्रम संचालन करने वाली एडवोकेट एवं कांग्रेस की महिला नेता शैला अग्रवाल एवं उनके पिता प्रोफेसर केएन अग्रवाल को अनाथ लड़कियों के यौन शोषण मामले में दोषी पाया गया है | आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल पर आरोप था कि वो अनाथ लड़कियों की परवरिश के नाम पर समिति का संचालन करती थी परंतु आश्रम में रह रहीं अनाथ लड़कियों का यौन शोषण किया जाता था।
बालिकाओं ने जांच के दौरान बताया कि उनके साथ अनाथ आश्रम संचालिका शैला अग्रवाल के सेवानिवृत्त शिक्षक पिता केएन अग्रवाल अनैतिक कार्य करते हैं और जब लड़कियां इसकी शिकायत शैला अग्रवाल से करती हैं तो वह उनकी पिटाई करती है।लड़कियों को यहां गुलाम बनाकर रखा गया जाता था और इसके बाद उन्हें डराया-धमकाया जाता था कि इस संबंध में किसी को मत बताना|
शैला अग्रवाल पेशे से वकील हैं. शिवपुरी कोर्ट में प्रैक्टिस करने के साथ परमार्थ समिति के तहत अनाथ आश्रम की अध्यक्ष भी थीं. हर साल 44 लाख रु. आश्रम को चलाने के लिए सरकार से ग्रांट मिलती थी. शकुंतला परमार्थसमिति के बैनर तले दो आश्रम चल रहे थे. बालगृह में 23 लड़कियां और शिशु गृह में 5 बच्चे शामिल हैं|
मालूम हो कि 17 नवंबर 2016 को अनाथ बच्चियों के साहस के कारण इस मामले का खुलासा हुआ था. इसमें एडवोकेट शैला अग्रवाल, उनके पिता समेत चार लोगों को दुष्कर्म का आरोपी बनाया था. इसमें शैला का भाई राजू भी शामिल था. लेकिन मानसिक रूप विक्षिप्त होने के कारण कोर्ट नेफिलहाल उसके मामल में अभी फैसला नहीं सुनाया है. इसके अलावा चौथे आरोपी बाल गृह में कंप्यूटर ऑपरटर अतुल को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
1 अक्टूबर 2016 को दो लड़कियां बालगृह स भाग गईं थीं. इन लड़कियों को पुलिस ने अशोकनगर से बरामद किया था. बाल कल्याण समिति ने दोनों लड़कियों से बातचीत की थी|बता दे नवंबर 2016 को जब बच्चियों ने आपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में बताया जिसे जानने के बाद पुलिस व प्रशासन के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई और इस बैठक के बाद 15 नवंबर की रात को पुलिस ने अचानक बाल आश्रम पर छापा मारा जहाँ उन्होंने पाया की लड़कियों ने जो भी बताया वो बिलकुल सही था जिसके बाद महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक सुरेश तोमर के साथ दो काउंसलर को बालिकाओं ने बताया कि उन्हें नशीली दवाएं दी जाती हैं और नशे की हालत में उनके साथ गलत काम किया जाता था |जांच के दौरान ये पाया गया की पीड़ित लड़कियों की उम्र 11 से 18 साल के बीच की है|
मिश्रा के मुताबिक, इस आश्रम में 23 बालिकाएं रहती हैं, जिनमें से छह ने उनके साथ दुष्कर्म किए जाने की बात कही है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक यूसुफ करैशी के अनुसार, महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक और दो काउंसलरों ने काउंसलिंग की तो छह बालिकाओं ने दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि की गयी जिसके बाद आश्रम को सील कर दिया गया था।
कोर्ट ने बलात्कार एवं पोस्को एक्ट के तहत शैला व उनके पिता को दोषी पाया है।विशेष न्यायाधीश अरुण वर्मा की कोर्ट ने शैला अग्रवाल और उनके पिता केएन अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और कोर्ट में जैसे ही सजा का ऐलान हुआ तो कठघरे में खड़ी शैला रोने लगी और उसका पिता सिर पकड़कर बैठ गया.