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उत्तराखंड : कहां बह गए आपदा राहत के 1509 करोड़, नहीं मिल पा रहा हिसाब-किताब?

uttarakhand-devastation-tejas-630केदारनाथ: उत्तराखंड सरकार इन दिनों इस बात के लिए परेशान है कि उसे केंद्र सरकार से भेजे गए आपदा राहत के 1,509 करोड़ रुपये का हिसाब किताब नहीं मिल रहा। आरटीआई से मिली जानकारी के बाद मामला सुर्खियों में आ गया है। राज्य सरकार ने एक जांच कमेटी बनाने की बात कही है।

जून 2013 में आई आपदा का ख़ौफ अब भी कम नहीं हुआ है। फर्क सिर्फ इस बात का है कि पहले मुसीबत केदारनाथ घाटी के लोगों ने झेली और अब उसे राज्य सरकार झेल रही है। मुद्दा 1509 करोड़ रुपये का है, जिसका हिसाब-किताब उत्तराखंड सरकार से केंद्र सरकार बराबर पूछ रही है। वहीं, इस पर बीजेपी सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि ‘हम पहले भी कहते रहे हैं कि आपदा के पैसे को कांग्रेस ने अपनी जेब भरने में लगा दिया।’

केंद्र सरकार ने जून 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद राज्य सरकार को विशेष आयोजनगत सहायता, बाह्य सहायता कार्यक्रम, नेशनल डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फोर्स और स्टेट डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के तहत नीति आयोग, वित्त और गृह मंत्रालय से कुल 6766.679 करोड़ रुपये की केंद्रीय मदद जारी की। जिसमें से राज्य सरकार के दस्तावेज़ में 5257.336 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब दर्ज है। बाकी के 1509.345 करोड़ रुपये कहां गए, किसी को पता नहीं। मामला जब सुर्खियां बटोरने लगा तो राज्य सरकार भी पैसा ढूंढने में लग गई।

इस मामले में उत्तराखंड के वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। जांच होगी और हम इस पर पूरी तरह से गंभीर हैं। सरकार के बैकफुट पर आ जाने के बाद विपक्षी दल ने हरीश रावत सरकार पर अपने हमले और तेज़ कर दिए हैं। बीजेपी कहती है कि जांच करवानी ही है तो सीबीआई से करवाई जाए। बीजेपी नेता प्रकाश पंत का कहना है कि यह जांच सीबीआई से होनी चाहिए, क्योंकि आपदा से जुड़े एक दो नहीं कई मामले हैं।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों को करीब साल भर बाकी है। ऐसे में राज्य की कांग्रेस सरकार को अपनी साख बचाने के लिए 1509 करोड़ रुपये का हिसाब न सिर्फ केंद्र बल्कि राज्य की जनता के सामने भी रखना जरूरी हो गया है।

 

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