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ऊर्जा निगम पर जुर्माने का असर नहीं, व्यवस्थाएं बेपटरी

यूईआरसी उपभोक्ता सेवाओं में हीलाहवाली को लेकर ऊर्जा निगम को फटकार लगाने के साथ ही करोड़ों रुपये जुर्माना भी ठोंक चुका है। बावजूद इसके व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रही हैं और इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। यहां तक कि समय पर बिजली कनेक्शन तक नहीं मिल रहे और बिल संग्रह केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। ऊर्जा निगम पर जुर्माने का असर नहीं, व्यवस्थाएं बेपटरी

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) भी अभी तक विनियमों के अनुसार जुर्माना लगाने तक ही सीमित है। शायद इसलिए ऊर्जा निगम प्रबंधन की लापरवाह कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं, निगम व्यवस्था में सुधार के झूठे आंकड़े पेशकर जुर्माना माफ करने की याचिका भी यूईआरसी के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है। लेकिन, यूईआरसी ने इस झूठ को पकड़ते हुए माफी की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन, सवाल जुर्माना आरोपित करने या उसे वसूल करने से ज्यादा व्यवस्थाओं में सुधार का है। दो साल पहले यूईआरसी ने कहा था कि कनेक्शन में देरी होने पर  जुर्माना जिम्मेदार कार्मिक के वेतन से वसूला जाए। यह व्यवस्था करीब छह महीने पहले लागू की गई। लेकिन, अभी तक किसी भी कार्मिक के वेतन से जुर्माना नहीं काटा गया। नतीजतन, वर्तमान वर्ष में भी आठ हजार से ज्यादा विद्युत कनेक्शन पेंडिंग हैं। 

14 करोड़ का लग चुका जुर्माना 

यूईआरसी के रेगुलेशन में कनेक्शन जारी करने के लिए एक निश्चित अवधि निर्धारित है और इसके भीतर कनेक्शन जारी नहीं करने पर जुर्माने का प्रावधान है। पिछले आठ वर्षों में कनेक्शन में देरी में 14 करोड़ रुपये जुर्माना लग चुका है। लेकिन, अभी तक 10 फीसद से भी कम जुर्माना जमा कराया गया है। पिछले दो साल में साढ़े 18 हजार से भी ज्यादा कनेक्शन जारी करने में देरी हुई है। 

रोजाना लग रहा ढाई हजार का जुर्माना 

बिल संग्रह केंद्रों की कमी और केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव की वजह से ऊर्जा निगम पर वर्ष 2005 से रोजाना ढाई हजार रुपये का जुर्माना लग रहा है। यह रकम एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। निगम ने छह महीने पहले बिल संग्रह केंद्र पर शेड, पेयजल, पंखे-कूलर, टॉयलेट, बैठने आदि का समुचित प्रबंध करने की योजना बनाई थी। इस पर करीब 11 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। यूईआरसी निवेश की स्वीकृति भी दे चुका है, लेकिन स्थिति जस की तस है।  

यूईआरसी के सचिव नीरज सती का कहना है कि कुछ महीने पहले ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक ने उपभोक्ताओं को समय पर सेवाओं का लाभ प्रदान करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की बात कही थी। लेकिन, यूईआरसी ने पाया कि धरातल पर सब कुछ पहले की तरह चल रहा है। जुर्माने को जमा कराने के लिए नोटिस जारी किया जा रहा है। अगर फिर भी निगम ने रकम जमा नहीं कराई तो नियमानुसार कुर्की की कार्यवाही शुरू करेंगे। हालांकि, यूईआरसी का उद्देश्य उपभोक्ताओं को मिलने वाली सेवाओं और सुविधाओं में सुधार करना है। 

वहीं यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने बताया कि यूईआरसी ने जुर्माना माफ करने से इन्कार किया है। अब कनेक्शन में देरी के लिए जिम्मेदार कार्मिकों से वसूली की जाएगी। इस बाबत सभी को अवगत करा दिया गया है और ऐसा नहीं है कि व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा। हमारा पूरा प्रयास है कि उपभोक्ता सेवाओं और सुविधाओं का लाभ समय पर मिले। थोड़ी समस्या कार्मिकों की कमी के चलते है। प्रयास किया जा रहा है कि फील्ड कार्मिकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति हो जाए। 

यूईआरसी कर रहा जागरूक 

ऊर्जा निगम की लचर कार्यप्रणाली को देखते हुए यूईआरसी प्रदेश में जगह-जगह जनगोष्ठी आयोजित कर उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहा है। क्योंकि, रेगुलेशन में समस्या का समाधान समय पर नहीं होने की स्थिति में हर्जाने का प्रावधान भी है। 

: यूईआरसी उपभोक्ता सेवाओं में हीलाहवाली को लेकर ऊर्जा निगम को फटकार लगाने के साथ ही करोड़ों रुपये जुर्माना भी ठोंक चुका है। बावजूद इसके व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रही हैं और इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। यहां तक कि समय पर बिजली कनेक्शन तक नहीं मिल रहे और बिल संग्रह केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। 

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) भी अभी तक विनियमों के अनुसार जुर्माना लगाने तक ही सीमित है। शायद इसलिए ऊर्जा निगम प्रबंधन की लापरवाह कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं, निगम व्यवस्था में सुधार के झूठे आंकड़े पेशकर जुर्माना माफ करने की याचिका भी यूईआरसी के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है। लेकिन, यूईआरसी ने इस झूठ को पकड़ते हुए माफी की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन, सवाल जुर्माना आरोपित करने या उसे वसूल करने से ज्यादा व्यवस्थाओं में सुधार का है। दो साल पहले यूईआरसी ने कहा था कि कनेक्शन में देरी होने पर  जुर्माना जिम्मेदार कार्मिक के वेतन से वसूला जाए। यह व्यवस्था करीब छह महीने पहले लागू की गई। लेकिन, अभी तक किसी भी कार्मिक के वेतन से जुर्माना नहीं काटा गया। नतीजतन, वर्तमान वर्ष में भी आठ हजार से ज्यादा विद्युत कनेक्शन पेंडिंग हैं। 

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