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एयरपोर्ट पर 13 घंटे फंसी रही नेशनल शूटिंग टीम, छीन लिए गए सारे हथियार

साइप्रस वर्ल्ड कप और पिलजन इंटरनेशनल शूटिंग इवेंट से भाग लेकर मंगलवार तड़के वापस लौट रहे 17 शूटरों को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तकरीबन 13 घंटे रोके रखा गया। कस्टम की ओर से इन शूटरों को उनके हथियारों की क्लीयरेंस नहीं दी गई। शूटरों के काफी विरोध के बाद शाम पांच बजे के करीब उन्हें हथियार सौंपे गए। 
एयरपोर्ट पर 13 घंटे फंसी रही नेशनल शूटिंग टीम, छीन लिए गए सारे हथियार
शूटरों का आरोप है कि इस दौरान उनकी मदद को न तो नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया आगे आई और न ही खेल मंत्रालय। इस अफरा-तफरी के चलते कुछ शूटरों की अपने शहरों को जाने वाली कनेक्टिंग फ्लाइट छोड़नी पड़ी। रोके गए शूटरों में तीन ओलंपियन कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट पिस्टल शूटर गुरप्रीत सिंह, ट्रैप शूटर काइनन चेन्नई और राइफल शूटर चैन सिंह भी शामिल हैं।

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सूत्रों की मानें तो बीते दिनों कुछ नेशनल शूटरों की ओर से पकड़े गए अतिरिक्त हथियारों और मेरठ कांड के चलते कस्टम ने इन अंतरराष्ट्रीय शूटरों के हथियारों को रोका। सुबह चार बजे के करीब चेक रिपब्लिक से आई फ्लाइट में गुरप्रीत सिंह, चैन सिंह, कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट ओंकार सिंह, हरप्रीत सिंह, पेंबा तमांग, सुशील घाले, मुस्कान, विनीता भारद्वाज समेत 12 शूटर उतरे। 45 मिनट बाद साइप्रस से काइनन चेन्नई, सीमा तोमर, रिया राजेश्वरी, मनीषा कीर, जोरावर संधू आए। गुरप्रीत ने खुलासा किया कि उन्होंने घटना के बारे में फेडरेशन को भी बताया, लेकिन कोई भी वहां मदद को नहीं आया। 

एक शूटर ने तो यहां तक कहा कि उनकी ओर से खेल मंत्रालय को भी इसकी जानकारी दी गई, लेकिन मदद नहीं मिली। शूटरों के मुताबिक उन सभी से कहा गया 10 बजे के करीब असिस्टेंट कमिश्नर जांच के बाद हथियारों को क्लीयरेंस देंगे, लेकिन दिए गए समय पर भी कोई अधिकारी नहीं आया तो शूटरों के सब्र का बांध टूट गया। 

इस दौरान कस्टम अधिकारियों की बहस भी हुई, लेकिन हथियारों को छोड़ने से इंकार कर दिया गया। फेडरेशन के सचिव राजीव भाटिया के अनुसार दो दिन पूर्व ही साइप्रस से लौटे कुछ शूटरों के हथियारों को क्लीयरेंस दे दी गई, लेकिन इन शूटरों का रोका जाना हैरानीजनक है। 

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