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कॉसमॉस बैंक मे 94 करोड़ रुपये से ज्यादा की साइबर लूट के बाद अब डिजिटल इंडिया में ऐसे सुरक्षित रहेगा आपका जमा पैसा

पुणे स्थित कॉसमॉस बैंक मे हुई 94 करोड़ रुपये से ज्यादा की साइबर लूट के पीछे एक ऐसे साइबर गैंग का हाथ है, जो पहले भी विश्व के कई देशों में इस तरह अपराधों को अंजाम दे चुका है।

कॉसमॉस बैंक मे 94 करोड़ रुपये से ज्यादा की साइबर लूट के बाद अब डिजिटल इंडिया में ऐसे सुरक्षित रहेगा आपका जमा पैसायहां भी लगाई थी अब तक की सबसे बड़ी सेंध

इस ग्रुप का नाम लजारस है, जिसने बांग्लादेश में भी 8.1 करोड़ डॉलर की चोरी वहां के सेंट्रल बैंक से की थी। इसके अलावा 2014 में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क पर भी साइबर हमला किया था। इस बार इसने पुणे के एक नामी को-ऑपरेटिव बैंक को निशाना लगाकर 11 व 13 अगस्त को 12 हजार से ज्यादा ट्रांजेक्शन करके 94. 42 करोड़ रुपये निकाल लिए। पुणे शहर के अपराध शाखा व साइबर सेल सहित चतुरश्रृंगी पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया गया है। इस मामले में हांगकांग की एएलएम ट्रेडिंग लिमिटेड कंपनी को आरोपी बनाया गया है।

सबसे पुरानी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक है कॉसमॉस बैंक

कॉसमॉस बैंक सबसे पुरानी को-ऑपरेटिव बैंक है जिसकी स्थापना 1906 में हुई थी। साल 1997 में बैंक का मल्टिस्टेट स्टेटस बहाल किया गया। इसकी 140 शाखाएं 7 राज्यों में हैं। बैंक के 20 लाख खाताधारक और 79 हजार शेयर होल्डर्स हैं। कॉसमॉस बैंक का वार्षिक टर्नओवर 18 हजार करोड़ रुपये है। इतनी बड़ी बैंक में साइबर डकैती होने से खाताधारकों में हलचल मच गई है।

ऐसे में कैसे करें अपने खाते को सुरक्षित

साइबर एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील पवन दुग्गल ने amarujala.com से विशेष बातचीत में कहा कि इस इतनी बड़ी चोरी से लगता है कि भारत में बैंकिंग सेक्टर अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो पाया है। ग्राहकों को चाहिए कि वो कभी भी एक ही बैंक खाते में अपने पैसे जमा न करें।

दूसरा, बैंक में खाता खोलने से पहले उसकी साइबर सुरक्षा के बारे में अच्छे से तहकीकात कर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर बैंक की साइबर सुरक्षा सही नहीं होगी, तो फिर बैंक में अपने खाते को सुरक्षित नहीं रख सकेंगे।

तीसरा, बैंक एटीएम से ट्रांजेक्शन करने के बजाए मोबाइल वॉलेट से लेनदेन करें। ऐसा इसलिए क्योंकि मोबाइल वॉलेट से लेनदेन करना अभी भी काफी सुरक्षित है। मोबाइल वॉलेट में जमा पैसा आसानी से हैक नहीं हो सकता है।

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