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कोरोना: जहां होगी मौत, आसपास ही करना पड़ेगा उसका अंतिम संस्कार

कोरोना वायरस के चलते मरीज की मौत होने के बाद उसका अंतिम संस्कार भी वहीं करना होगा। कोरोना वायरस से अब तक देश में तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में महिला मरीज की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार को लेकर सामने आई कठिनाई के बाद सरकार ने अंतिम संस्कार व पोस्टमार्टम पर गाइडलाइन जारी कर दी है। मृतक के परिजनों की भावना का सम्मान करते हुए उनकी काउंसलिंग के जरिए उन्हें बताया जाएगा कि सुरक्षा के लिहाज से ये कदम उठाना कितने जरूरी हैं? छह पेज के इन दिशा निर्देश के अनुसार शव लेपन (एम्बामिंग) नहीं होगी। इसके कारण शव को ज्यादा दूर तक नहीं ले जाया सकता।

वायरस के चलते अगर मरीज की मौत होती है तो उसका अंतिम संस्कार आसपास ही करना होगा। इसके अलावा कुछ विशेष मामलों को छोड़ अन्य में पोस्टमार्टम की अनिवार्यता नहीं होगी। अगर किसी स्थिति में पोस्टमार्टम करना पड़ता है तो शवगृह में पूरी सफाई का विशेष ध्यान रखा जाएगा। पीपीई सहित तमाम सुरक्षा उपायों की पालना करते हुए फॉरेसिंक डॉक्टर पोस्टमार्टम करेंगे। देश में अब तक कर्नाटक, दिल्ली और महाराष्ट्र में तीन मरीजों ने कोरोना के चलते उपचार के दौरान दम तोड़ दिया है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शवों के अंतिम संस्कार को लेकर इन दिशा निर्देशों को सभी राज्य में भेजा जा चुका है। शवों के अंतिम संस्कार से संक्रमण नहीं फैलता है लेकिन इसके लिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी है। वार्ड से लेकर शवगृह और यहां तक कि अंतिम संस्कार स्थल पर मौजूद लोगों को भी प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है।

उन्होंने बताया कि संक्रमित मरीज के शव से किसी को डर नहीं है लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान उसके फेफड़ों से संक्रमण हो सकता है। इसीलिए अस्पताल के वार्ड में तैनात कर्मचारियों, शवगृह, अंतिम संस्कार स्थल पर कर्मचारियों और परिजनों को लेकर ये दिशा निर्देश शामिल किए हैं। इसमें परिजनों की काउंसलिंग का भी जिक्र है।

अस्पताल में मौत होने पर
अगर कोरोना संक्रमित मरीज की अस्पताल के वार्ड में मौत होती है तो कर्मचारियों को हैंड हाइजनिंग, सुरक्षा उपकरण, संक्रमण को रोकने वाला बैग इत्यादि का ध्यान रखा जाएगा। सभी ट्यूब, कैथेटर इत्यादि को शरीर से निकाला जाएगा और उपचार के दौरान किए गए पंक्चरों को बंद किया जाएगा। ट्यूब, कैथेटर को जैविक कचरा प्रबंधन के तहत नष्ट किया जाएगा।

तरल पदार्थ को रोकने के लिए नाक व मुंह को अच्छे से बंद किया जाएगा। 1 फीसदी हाइपोक्लोराइट रसायन से सफाई की जाएगी। अगर परिजन अंतिम दर्शन करना चाहते हैंतो शव को बैग में पैक करने से पहले पूरी सुरक्षा के तहत ही अनुमति दी जाएगी। इसके बाद वार्ड, बिस्तर इत्यादि को 1 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइट से 30 मिनट तक साफ करने के बाद हवा प्रैशर के जरिए उसे सुखाया जाएगा। इसके बाद उक्त स्थान को दोबारा इस्तेमाल में लाया जाएगा।

4 डिग्री तापमान में रखना होगा शव
संक्रमित शव को मोर्चरी में कम से कम 4 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना जरूरी होगा। सभी कर्मचारी व डॉक्टर सुरक्षा के निर्धारित पैमाने का पालन करेंगे। ट्रॉली को रसायन से साफ किया जाएगा। शव पर एम्बामिंग यानि लेपन नहीं किया जाएगा। एम्बामिंग करने के बाद शव को कुछ वक्त के लिए सुरक्षित किया जाता है ताकि परिजन अपने गृहस्थान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर सकें।

शव ले जाने में नहीं होता संक्रमण
अंतिम संस्कार के लिए शव को लेजाने में स्टाफ के कर्मचारियों को संक्रमण का खतरा नहीं है। हालांकि उन्हें सुरक्षा के सभी मानकों का पालना करना जरूरी है। साथ ही बाद में संबंधित वाहन को संक्रमण मुक्त करना भी जरूरी है। सर्जिकल मास्क व ग्लब्स इत्यादि के जरिए कर्मचारी अपना बचाव कर सकते हैं।

अंतिम संस्कार से पहले एक बार कर सकते हैं दर्शन
संक्रमित मरीज के अंतिम संस्कार से पहले एक बार परिजन या उसके रिश्तेदार अंतिम दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए स्टाफ के कर्मचारी बैग के ऊपरी सिरे की चेन को खोल दर्शन करा सकते हैं। हालांकि इस दौरान दूरी बनाए रखना जरूरी होगा। साथ ही कर्मचारियों के हाथ व मुंह पूरी तरह सुरक्षित हों। अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा लोगों की भीड़ नहीं होनी चाहिए। हालांकि अंतिम संस्कार होने से संक्रमण नहीं फैलता है। इसलिए अंतिम संस्कार के बाद कर्मचारियों और रिश्तेदारों को हाथों की सफाई करनी होगी।

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