दिल्लीराष्ट्रीय

कोलकाता पुलिस कमिश्नर से पूछताछ क्यों करना चाहती सीबीआई

सीबीआई पहली बार इतनी बेबस देखी गई है। इसके पांच अधिकारियों को कोलकाता पुलिस ने हिरासत में ले लिया और इन अफसरों के आवास को भी स्थानीय पुलिस ने घेर लिया। यह सवाल उठता है कि सीबीआई आखिर कोलकाता पुलिस कमिश्नर से पूछताछ क्यों करना चाहती है?

नई दिल्ली : एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में पहली बार सीबीआई इतनी बेबस देखी गई, जब इसके पांच अधिकारियों को कोलकाता पुलिस ने हिरासत में ले लिया और इन अफसरों के आवास को भी स्थानीय पुलिस ने घेर लिया। यह ड्रामा तब शुरू हुआ जब सीबीआई की एक टीम कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के आवास पर शारदा घोटाले के बारे में पूछताछ के लिए पहुंची। आइए जानते हैं कि सीबीआई आखिर कोलकाता पुलिस कमिश्नर से पूछताछ क्यों करना चाहती है?
सीबीआई के कई उच्च पदस्थ सूत्रों ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि एजेंसी को यह संदेह है कि राजीव कुमार के पास शारदा घोटाले से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं, जो कि उन्होंने शारदा घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख रहने के दौरान जब्त किए थे। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कोलकाता पुलिस कमिश्नर से कहा था कि वह ऐसे दस्तावेज जमा करें जो कि उन्हें एसआईटी से मिले हैं और अब नहीं मिल रहे। लेकिन कई बार समन भेजने के बाद भी कुमार सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए और आखिरकार सीबीआई रविवार को जांच के लिए उनके आवास पहुंच गई।
हालांकि, पिछले साल अगस्त माह में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शारदा चिट फंड घोटाले के बारे में पश्चिम बंगाल के डीजीपी को एक लेटर लिखा था, यह लेटर आजतक ने देखा है। इसमें कहा गया था कि सीबीआई एसआईटी से जुड़े उन सभी सदस्यों से पूछताछ करना चाहती, जो सीबीआई से पहले इस मामले की जांच से जुड़े थे। सीबीआई का आरोप है कि राज्य की एसआईटी ने उसे जो दस्तावेज सौंपे हैं, उनमें कई जरूरी कागजात नहीं हैं, इसलिए वह एसआईटी सदस्यों से पूछताछ करना चाहती है।
एक सीबीआई अफसर ने बताया, ‘हम एसआईटी द्वारा मिले दस्तावेज पर कुछ स्पष्टीकरण चाहते हैं। जांच के दौरान हमें पता चला कि कई महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हैं और हमें संदेह है कि कुछ के साथ छेड़छाड़ किया गया है। इसके बारे में स्पष्टीकरण के लिए हम कुमार सहित एसआईटी के सभी सदस्यों से पूछताछ करना चाहते हैं।’ सीबीआई ने कहा था कि 21 से 25 अगस्त, 2018 के बीच एसआईटी के सदस्य अपनी पसंद के मुताबिक स्थान और समय पर पूछताछ के लिए आ सकते हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी नहीं आया। गौरतलब है कि ममता बनर्जी सरकार ने 2013 और 2014 में एसआईटी का गठन किया था।

Related Articles

Back to top button