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‘खिड़कियां हिल रही थीं, हम पलंग के नीचे छुपे थे’

pathankot-terror-attack-568b40efc3377_lपंजाब के गुरदासपुर जिले के एक छोटे से गांव में महिलाओं का समूह एक घर में एक ऐसे शख्स की शहादत पर इक_ा है जो अब पूरे देश का हीरो बन चुका है। ये सभी सूबेदार मेजर फतेह सिंह के बेटी के आसपास बैठी हुई हैं। 
 
शनिवार की सुबह आतंकियों के पठानकोट एयरबेस पर आतंकियों के हमले के दौरान उनका बहादुरी के साथ सामना करते हुए फतेह सिंह शहीद हो गए थे। घर में बैठी फतेह की 25 साल की बेटी ने कहा, फायरिंग को आसानी से सुना जा सकता था। यहां तक कि खिड़की पर भी गोलियां लग रही थी। हम करीब दो घंटे तक पलंग के नीचे छुपे रहे। 
 
हालांकि जमीन ठंडी थी लेकिन हम बिस्तर पर बैठने का जोखिम नहीं ले सकते थे। बाद में हमने घर की लाइट्स बंद कर दी ताकि आतंकी अंदर नहीं देख सकें। बाद में फायरिंग दोबारा शुरू हो गए और खिड़की जोर-जोर से हिलने लगी। पेशे से टीचर मधु कहती है, मेरे पिता हमेशा कहते थे, सच्चाई के लिए लड़ो, अच्छे की मदद करो और बुराई को हराओ। उन्होंने अपने मूल्यों के लिए जान कुर्बान कर दी।
 
मुझे अपने पिता पर नाज है
अपने आप को संभालते हुए मधु कहती है, मुझे अपने पिता पर बहुत गर्व है। वह बताती है कि किस तरह उसके पिता अपने घर से निकलकर एयरबेस का आतंकियों का मुकाबला करने पहुंचे थे। मधु ने बताया कि मेरे पिता ने यूनिफार्म पहनी और तेजी से घर से बाहर निकले। 
 
फतेह सिंह वर्ष 1995 में हुई कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड और सिल्वर मैडल जीत चुके हैं। डिफेंस सिक्युरिटी कार्पस का हिस्सा होने के नाते वे पठानकोट बेस पर ड्यूटी पर तैनात थे। यह यूनिट ऐसे बुजुर्ग सदस्यों की है जो फिलहाल सक्रिय सेवा में नहीं हैं। जांबाज फतेह सिंह ने एक आतंकी की गन छीनी और उसे ढेर कर दिया। हालांकि बाद में वे भी शहीद हो गए।

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