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जब सुनील दत्त ने रील मां से ही कर ली थी रियल शादी, और संजय दत्त के बने पिता…

आज बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता व राजनेता स्वर्गीय सुनील दत्त का 88वां जन्‍मदिन है. सुनील दत्त जिन्होंने बॉलीवुड की अनगिनत व सफलतम फिल्मो में अपने दमदार अभिनय की छाप को छोड़ा. सुनील दत्त के तीन बच्चे है जिसमे है अभिनेता संजय दत्त, नम्रता दत्त व प्रिया दत्त. संजय दत्त जो के अभी भी फिल्मो में सक्रिय नजर आ रहे है. अभिनेता सुनील दत्त ने देखा जाए तो फिल्म इंडस्ट्री में काफी शोहरत कमाई. तथा फिल्मो के बाद सुनील दत्त राजनीती के मैदान में उतरे. आज जब उनकी जन्मतिथि है तो आइए इस मौके पर जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनजानी बातें…

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जब सुनील दत्त ने रील मां से ही कर ली थी रियल शादी, और संजय दत्त के बने पिता...मुस्‍लिम परिवार ने बचाई जान…

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अभिनेता सुनील दत्त जब 5 साल के थे उस दौरान उनके पिता का निधन हो गया था व जब सुनील दत्त ने 18 साल की उम्र में प्रवेश किया तो तब तक भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे की लड़ाई छिड़ चुकी थी. उस समय युवा सुनील दत्‍त को कुछ समझ नहीं आया कि इन मुसीबतों से कैसे निपटा जाए. हिंदू-मुस्‍लिम की इस लड़ाई में चारों ओर हाहाकार मचा था. सुनील का परिवार भी हिंदू था, ऐसे वक्‍त उनके पिता के एक मुस्‍लिम दोस्‍त याकूब ने सुनील और उनके परिवार को अपने घर में शरण दी. जिसके बाद सुनील दत्त का मुस्लिमो के प्रति विश्वास और भी बढ़ गया.     

मुंबई से लखनऊ तक का सफर… 

सुनील दत्‍त का जन्‍म 6 जून 1929 को ब्रिटिश भारत में पंजाब राज्य के झेलम जिला स्थित खुर्दी नामक गाँव में हुआ था. उनका असली नाम बलराज दत्‍त था. मुंबई आने से पहले सुनील काफी समय तक लखनऊ में भी रहे. नवाबों के शहर लखनऊ की अमीनाबाद की गलियों में उन्‍होंने काफी वक्‍त गुजारा. बाद में ग्रेजुएशन के लिए वह मुंबई चले गए. यहां जय हिंद कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सुनील मुंबई बस में कंडक्‍टर की नौकरी किया करते थे.

फिल्‍मों से पहले रेडियो में काम करते थे…

जी हाँ, जनाब बता दे की अभिनेता सुनील दत्त ने अपने करियर की शुरुआत एक रेडियो जॉकी के रूप से की थी. रेडियो सीलोन पर, जो कि दक्षिणी एशिया का सबसे पुराना रेडियो स्टेशन है. वहां सुनील एक उद्घोषक के रूप में काम करते थे. यहां वह काफी मशहूर भी हुए. उनकी आवाज के लोग दीवाने थे. तथा फिर उन्हें फिल्मो की तड़प हुई व सब छोड़कर वह मायानगरी मुंबई आ गए व 1955 में बनी ‘रेलवे स्‍टेशन’ उनकी पहली फिल्‍म थी. जिसमे उन्होंने अभिनय किया.  

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मदर इंडिया ने बना दिया स्‍टार

अभिनेता सुनील दत्त का किस्मत का सितारा उस समय और चमक गया जब उनकी झोली में फिल्म ‘मदर इंडिया’ आई. जी.  हाँ, बता दे की 1957 की ‘मदर इंडिया’ ने उन्हें बालीवुड का फिल्म स्टार बना दिया. फिर बाद में सुनील दत्त को फिल्म ‘मुझे जीने दो’ ने वर्ष 1964 का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिलाया. 60 के दशक में सुनील दत्त ने हिन्दी फिल्म जगत को कई बेहतरीन फिल्में दीं जिनमें साधना (1958), सुजाता (1959), मुझे जीने दो (1963), गुमराह (1963), वक़्त (1965), खानदान (1965), पड़ोसन (1967) और हमराज़ (1967) प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं.

पांच बार सांसद भी रहे
अब अगर बात कर ली जाए सुनील दत्त के राजनैतिक करियर के बारे में तो बता दे कि, सुनील दत्त साहब ने एक सफल अभिनेता और निर्देशक की पारी खेलने के बाद 1984 में राजनीति में प्रवेश कर लिया. जी हाँ, सुनील दत्त कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुंबई उत्‍तर पश्‍चिम लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने. वे यहाँ से लगातार पाँच बार चुने जाते रहे. उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटी प्रिया दत्त ने अपने पिता से विरासत में मिली वह सीट जीत ली. भारत सरकार ने 1968 में उन्हें पद्म श्री सम्मान प्रदान किया. इसके अतिरिक्त वे बम्बई के शेरिफ़ भी चुने गये. 25 मई 2005 को 76 साल की उम्र में सुनील दुनिया को अलविदा कह गए. आज भी दर्शक उनकी फिल्मो का दीवाना है.  

हीरोईन को आग से बचाया और कर ली शादी

सुनील दत्त साहब की शादी का किस्सा भी निराला है. जी हाँ, साल 1957 में महबूब खान की फिल्म मदर इण्डिया का शूटिंग चल रही थी. ऐसे में वहां पर फिल्म के सेट पर आग लग गई थी. तथा फिल्म की अभिनेत्री नरगिस इस भयंकर आग में बुरी तरह से झुलस गई थी. यह सब सुनील दत्त को नागवार गुजरा व तुरंत ही उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बगैर ही नरगिस को बचाया बस फिर क्या था उनके इस साहसिक कार्य से नरगिस की माँ जद्दनबाई काफी खुश हुई व उन्होंने अपनी बेटी नरगिस का विवाह 11 मार्च 1958 को सुनील दत्त से करा दिया.

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