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जीएम सरसों के मामले में पर्यावरण मंत्रालय की खिंचाई, जानकारी सार्वजनिक करने के निर्देश

एजेन्सी/  gm-mustard-650_650x400_51459956452नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग ने जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फूड के मामले में पारदर्शिता न बरतने के लिये पर्यावरण मंत्रालय की खिंचाई की है।

केंद्रीय सूचना आयोग ने सरकार से कहा है कि वह जीएम मस्टर्ड (सरसों) से जुड़ी सारी जानकारी और आंकड़े 30 अप्रैल से पहले सार्वजनिक करे। जीएम मस्टर्ड को हालांकि अभी खेतों में बतौर फसल उगाने और बेचने की इजाजत नहीं है लेकिन इसे विकसित किया जा चुका है। अगर सरकार की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी  – जो कि इस मामले में नियामक बॉडी है – इसके लिये अनुमति देती है तो जीएम सरसों पहला जीएम खाद्य होगा जिसे खेतों में उगाया जाएगा। अभी हमारे देश में केवल जीएम कपास को ही उगाया जाता है।

इस बारे में एक पर्यावरण कार्यकर्ता कविता कुरुगंटी ने सरकार से जानकारी मांगी थी, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जानकारी न दिये जाने के बाद उन्हें केंद्रीय सूचना आयोग का रुख करना पड़ा जिसने इस जानकारी को ज़ाहिर करने का आदेश दिया है।

जीएम फसलों को लेकर पहले भी विवाद होता रहा है। इससे पहले स्वास्थ्य संबंधी खतरों का डर जताते हुए जीएम बैंगन को उगाने की अनुमति भी नहीं मिल पाई। पर्यावरण कार्यकर्ताओं की शिकायत रही है कि सरकार की जेनेटिक अप्रूवल कमेटी इस बारे में पारदर्शिता से काम नहीं कर रही है।

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