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दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में सब्जी और दूध की सप्लाई प्रभावित

मध्यप्रदेश के मंदसौर में बीते वर्ष 6 जून को हुए किसान गोलीकांड के एक वर्ष पूरा होने पर किसानों ने शुक्रवार से 10 जून तक ‘गांव बंद’ का ऐलान किया है। एक साल पहले हुई पुलिस फायरिंग में करीब 7 किसानों की मौत हो गई थी। यह बंद केवल मध्यप्रदेश तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश के कई अन्य राज्यों के किसान भी अब इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। आज आंदोलन के दूसरे दिन भी यह प्रदर्शन जारी है। सब्जियों की बढ़ते दामों पर दिल्ली की ओखला मंडी के सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते सब्जियों की कीमतों में उछाल आया है।

लुधियाना में भी किसानों ने सड़क पर सब्जियां गिराते हुए प्रदर्शन किया। बंद के पहले दिन महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों के किसान विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे थे और इसका सीधा असर दूध और सब्जियों की सप्लाई पर पड़ा और कुछ जगहों पर इनकी कीमतों में बढ़ोतरी भी देखी गई। यह हड़ताल राष्ट्रीय किसान महासभा द्वारा बुलाई गई थी। उनकी मांग है कि किसानों का कर्ज माफ किया जाए, उनकी फसल पर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिले और दूध का दाम 50 रुपये प्रति लीटर किया जाए। इन मांगों के अलावा भी किसान कई मांगों के साथ सड़क पर हैं।

गांव बंद के कारण महाराष्ट्र के नासिक ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी में सब्जियां तो जरूर पहुंची लेकिन उनकी मात्रा कम थी। इसके अलावा इसका सबसे बड़ा असर देश के सबसे बड़े प्याज के होलसेल मार्केट पर भी पड़ा, यहां गुरुवार तक रोज की तरह 1500 क्विंटल प्याज पहुंचती थी लेकिन हड़ताल के चलते शुक्रवार को केवल 300 क्विंटल प्याज ही पहुंच सकी।

इसके अलावा राजस्थान के किसानों ने भी बंद के कारण प्रदर्शन किया और उन ट्रकों को रोका जिनके माध्यम से दूध और सब्जियों की सप्लाई हो रही थी। इस प्रदर्शन में श्रीगंगानगर, झुंझुनू, जयपुर और सिकर के किसान शामिल थे। यही नहीं गुस्साए किसानों ने सड़कों और हाईवे पर दूध फेंक कर भी अपना विरोध प्रदर्शन किया।

वहीं किसानों ने जयपुर के चौमू समेत कई स्थानों पर जबरन मार्केट बंद कराने की कोशिश भी की। राजस्थान पुलिस का कहना है कि शुक्रवार को कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में भी प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा लेकिन भोपाल की मंडियों में सब्जी की सप्लाई पर 30 फीसदी की कमी रही। साथ ही उनके दामों में भी बढ़ोतरी देखी गई।

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