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दुनिया का सबसे बड़ा किचन भी होगा GST से प्रभावित

अमृतसरः जी.एस.टी. 1 जुलाई से देशभर में लागू किया जा चुका है। वहीं इस टैक्स रिफॉर्म का असर अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के लंगर पर भी देखने को मिला है। जानकारी के मुताबिक जी.एस.टी. लागू होने के बाद स्वर्ण मंदिर के लंगर के बजट पर और 10 करोड़ रुपए का बोझ पड़ने जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक यहां पर वर्किंग डेज में लगभग 50 श्रद्धालुओं और त्योहार और सप्ताहांत के दिनों में लगभग 1 लाख श्रद्धालुओं को एक साथ खाना खिलाया जाता है। स्वर्ण मंदिर के लंगर से कोई भी भूखा नहीं जाता। यह लंगर सिर्फ 2 घंटे के लिए ही बंद होता है ताकि रखरखाव का काम किया जा सके।
हजारों किलोग्राम में बनती हैं सब्जियां
यहां पर एक दिन में खाना बनाने के लिए लगभग 7,000 किलोग्राम आटा, 1,200 किलोग्राम चावल, 1,300 किलोग्राम दाल और 500 किलोग्राम घी का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं हर दिन बनने वाली सब्जियों की मात्रा भी हजारों किलोग्राम में होती है। जी.एस.टी. आने के बाद लगभग इन सभी सामग्रियों की कीमत में इजाफा हो जाएगा। नए टैक्स रिफॉर्म्स के बाद घी पर 12%, चीनी और दालों पर 5% जी.एस.टी. लगेगा। स्वर्ण मंदिर के लंगर के लिए महज इन तीन सामग्रियों की कीमत सालाना 75 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है। अब जी.एस.टी. के बाद स्वर्ण मंदिर के किचन बजट पर लगभग 10 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
साफ-सफाई का पूरा ख्याल
अनुमान के मुताबिक इस किचन में लकड़ी का चूल्हा, एल.पी.जी. स्टोव और इलेक्ट्रॉनिक रोटी मेकर का इस्तेमाल किया जाता है। मशीन एक घंटे में लगभग 25 हजार रोटियां बना सकती है। किचन को चलाने का काम लगभग 450 लोगों का स्टाफ देखता है। स्टाफ के अलावा मंदिर में आए श्रद्धालु भी किचन में सेवा करते हैं। लोग सेवाभाव से रोटियां बेलने, खाना बनाने, साफ-सफाई और बर्तन धोने का काम अपनी मर्जी से करते हैं। लगभग 3 लाख प्लेट रोज किचन में धुलती हैं और हर एक प्लेट को अच्छी तरह से पांच बार धोया जाता है। यह सारी मेहनत सभी धर्मों के लोगों को खाना खिलाने के लिए की जाती है। स्वर्ण मंदिर के लंगर में कोई भी आकर खाना खा सकता है। स्वर्ण मंदिर के लंगर से कोई भी शख्स भूखा नहीं जाता है।

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