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देहरादून की बेटी के दर्द से PM मोदी आहत, पूरे देश से की मदद की अपील

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ से पूरे राष्ट्र को संबोधित किया। इस बार ‘मन की बात’ में पीएम मोदी देहरादून की बेटी दर्द से आहत दिखे।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश वाणी में ‘मन की बात’ में देहरादून की गायत्री का जिक्र किया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

देहरादून की बेटी के दर्द से PM मोदी आहत, पूरे देश से की मदद की अपील

देहरादून की रिस्पना नदी में गंदगी को लेकर देहरादून की 11वीं की छात्रा गायत्री ने मेसेज के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समस्या से रूबरू कराया। छात्रा ने मोदी से कहा की “आदरणीय प्रधानाचार्य, प्रधानमंत्री जी, आपको मेरा सादर प्रणाम। सबसे पहले तो आपको बहुत बधाइयां कि आप इस चुनाव में आपने भारी मतों से विजय हासिल की है। मैं आपसे अपने मन की बात करना चाहती हूँ।

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”मैं कहना चाहती हूँ कि लोगों को यह समझाना होगा कि स्वच्छता कितनी ज़रूरी है। मैं रोज़ उस नदी से हो कर जाती हूँ, जिसमें लोग बहुत सा कूड़ा-करकट भी डालते हैं और नदियों को दूषित करते हैं। इस नदी के लिये हमने बस्तियों में जा करके रैली निकाली, लोगों से बातचीत भी की, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। मैं आपसे ये कहना चाहती हूं कि अपनी एक टीम भेजकर या फिर न्यूज़पेपर के जरिए इस बात को उजागर करें, धन्यवाद।’​गायत्री की बात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश वाणी में रविवावा को ‘मन की बात’ में कहा की देखिए भाइयों-बहनों, 11वीं कक्षा की एक बेटी को नदी में कूड़ा-कचरा देख कर कर कितना गुस्सा आ रहा है। उसे इस बात की कितनी पीड़ा है।

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मैं इसे अच्छी निशानी मानता हूं। मैं यही तो चाहता हूं, सवा-सौ करोड़ देशवासियों के मन में गन्दगी के प्रति गुस्सा पैदा हो। एक बार गुस्सा पैदा होगा, नाराज़गी पैदा होगी, उसके प्रति रोष पैदा होगा, हम ही गन्दगी के खिलाफ़ कुछ-न-कुछ करने लग जाएंगे। और अच्छी बात है कि गायत्री स्वयं अपना गुस्सा भी प्रकट कर रही है, मुझे सुझाव भी दे रही है, लेकिन साथ-साथ ख़ुद ये भी कह रही है कि उसने काफ़ी प्रयास किए, लेकिन विफलता मिली।
जब से स्वच्छता के आन्दोलन की शुरुआत हुई है, जागरूकता आई है। हर कोई उसमें सकारात्मक रूप से जुड़ता चला गया है। उसने एक आंदोलन का रूप भी लिया है।गन्दगी के प्रति नफ़रत भी बढ़ती चली जा रही है। जागरूकता हो, सक्रिय भागीदारी हो, आंदोलन हो, इसका अपना महत्व है ही है। लेकिन स्वच्छता आंदोलन से ज़्यादा आदत से जुड़ी हुई होती है।

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