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निर्भया के गुनाहगारों को 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी!

नई दिल्ली : निर्भया के दोषियों की फांसी में देरी हो सकती है। दरअसल दोषियों में से एक मुकेश सिंह ने पटियाला हाउस अदालत से जारी डेथ वारंट को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर अदालत में सुनवाई जारी है। जॉन ने कहा कि दोषी ने दया याचिका डाली है उस पर निर्णय होने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हिसाब से इसे 14 दिन मिलने चाहिए। सिर्फ यही नहीं दया याचिका खारिज होने के बाद भी उसे अपने कानूनी अधिकार को इस्तेमाल करने के लिए समय मिलना चाहिए। एडवोकेट जॉन की दलीलों के बाद जस्टिस मनमोहन ने कहा आपकी आपराधिक याचिका 2017 में खारिज कर दी गई थी। तब आपने क्यों नहीं क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका डाली? आप ढाई साल से क्या कर रहे थे? कानून आपको सिर्फ एक उचित समय दे सकता है याचिकाएं डालने के लिए। राष्ट्रपति से दया की याचिका करना आर्टिकल 72 के अनुसार हर मौत की सजा पाए दोषी का संवैधानिक अधिकार है। यह कोई प्रिविलेज की बात नहीं है बल्कि अधिकार का सवाल है।
जॉन ने ये भी बताया कि क्यों क्यूरेटिव पिटीशन 6 जनवरी को फाइल नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि दो डॉक्यूमेंट जो मांगे गए थे वो उपलब्ध न हो सकने के कारण ऐसा हुआ। जॉन ने कहा कि दोषी की आखिरी सांस तक भी उसे अपने कानूनी अधिकार इस्तेमाल करने का हक है। जॉन ने अपनी दलील रखते हुए शत्रुघ्न चौहान बनाम यूओआई केस का उदाहरण भी रखा कि मौत की सजा पा चुके दोषी भी आर्टिकल 21 के हिसाब से सुरक्षा पाने के अधिकारी हैं। जॉन ने बताया कि दोषी मुकेश और विनय ने अपनी क्यूरेटिव पिटिशन नौ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में डाली थी। वकील जॉन ने कहा कि तिहाड़ प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस दिया था, जिसमें बताया था कि उनके पास सिर्फ दया याचिका का रास्ता है। उन्हें क्यूरेटिव पिटीशन के बारे में नहीं बताया गया था। वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने मुकेश की तरफ से बोलते हुए कहा कि फांसी को फिल्हाल के लिए रोक दिया जाए। निर्भया के दोषियों की फांसी के लिए अदालत ने सात जनवरी को डेथ वारंट जारी किया था। इन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी है। मुकेश ने राष्ट्रपति को दया याचिका भी भेजी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुकेश व विनय की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी।

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