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‘नीट’ परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने को लेकर उच्चतम न्यायालय ने रोका हाईकोर्ट का फैसला


नई दिल्ली : मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित नीट परीक्षा में तमिल भाषा के छात्रों को ग्रेस अंक देने को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले की सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की है। जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की पीठ ने सीबीएसई की अपील पर सुनवाई करते हुए ग्रेस अंक देने को अव्यवहारिक और मेधावी छात्रों के लिए नुकसानदायक बताते हुए इस फैसले पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने माकपा नेता व राज्यसभा सदस्य टीके रंगराजन की याचिका पर ये फैसला दिया था। रंगराजन ने नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के प्रश्न पत्र के तमिल संस्करण में 49 प्रश्नों का अनुवाद गलत होने का दावा करते हुए ये याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट ने तमिल भाषा में नीट परीक्षा देने वाले सभी आवेदकों को 4 अंक प्रति प्रश्न के हिसाब से कुल 196 ग्रेस अंक देने का आदेश दिया था, जिससे इस परीक्षा की मेरिट दोबारा जारी होने की नौबत आ गई थी। लेकिन शुक्रवार को शीर्ष न्यायालय की पीठ ने कहा, इस तरीके से ग्रेस अंक देने से मेधावी छात्रों का क्या होगा? यह अखिल भारतीय परीक्षा है। ग्रेस अंक देने से पहले इस पर विचार नहीं किया गया कि कुछ परीक्षार्थी प्रश्नों का तमिल में सही अनुवाद होने के बावजूद गलत उत्तर दे सकते थे। पीठ ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए सही समाधान के लिए सभी पक्षों को दो हफ्ते के भीतर अपने-अपने सुझाव देने का निर्देश दिया, जिससे भविष्य में इस तरह की गलतियां न हो। साथ ही पीठ ने सांसद रंगराजन को भी नोटिस जारी किया है।

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