परमाणु हथियारविहीन दुनिया का सपना आसान नहीं
एजेन्सी/उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और पाकिस्तान-रूस के रुख से ये साफ हो जाता है कि परमाणु हथियार विहीन दुनिया का सपना पूरा होना आसान नहीं। अमेरिका में जुटे 60 देशों के प्रतिनिधियों के परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के दौरान ही उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और पाकिस्तान-रूस के रुख के चलते सम्मेलन का लक्ष्य भटक गया है।
अमेरिका समेत दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले रूस के पास कहीं ज्यादा परमाणु हथियार हैं। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के इस सम्मेलन के बहिष्कार करने के फैसले से परमाणु आतंकवाद का खतरा और बढ़ गया है।
वहीं पाकिस्तान के भी सम्मेलन के नदारद होने से इसके औचित्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। सम्मेलन में आईएस के खतरों पर विमर्श के लिए अलग से सत्र जरूर रखा गया है। फिर भी इससे निपटने में बड़े देशों के बीच प्रतिबद्घता की कमी देखने को मिल रही है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सी . उदय भास्कर ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत में कहा कि यह सम्मेलन ब्रसेल्स हमलों और इस्लामिक देशों से बढ़ते खतरे के बीच हो रहा है।
परमाणु शस्त्रविहीन दुनिया के सपने को उत्तर कोरिया से सबसे ज्यादा खतरा लग रहा है। वह कहते है कि इन परिस्थितियों में लगता नहीं है कि एनएसएस 2016 इन परेशान करने वाली चीजों पर चिंता कर पाएगा। सम्मेलन का लक्ष्य दूर की कौड़ी लगता है। उत्तर कोरिया लगातार परमाणु परीक्षण करने से बाज नहीं आ रहा है। रूस के अधिकारी खुलेआम यूरोप पर परमाणु हमले की बात कर रहे हैं। साथ ही कम्प्यूटर हैकरों द्वारा परमाणु हथियारों पर साइबर हमले बढ़ गए हैं।सबसे ज्यादा चिंताजनक यह है कि बेल्जियम की मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रसेल्स धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों ने एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमलों की योजना बनाई थी।
अमेरिका सहित कई देशों की सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक, यदि आईएस जैसे चरमपंथी समूह उच्च संवर्धित यूरेनियम और प्लूटोनियम तक पहुंच बनाने में कामयाब हो जाते हैं, तो वे अपरिष्कृत ही सही लेकिन घातक परमाणु बम बना सकते हैं।
एक ताजा रिसर्च में भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु जंग के बाद दोनों देशों और दुनिया पर पड़ऩे वाले असर का अंदाजा लगाते हुए रहा गया है कि दोनों देश अगर हिरोशिमा पर गिराए गए बम जैसे 50-50 बमों का इस्तेमाल करते हैं तो इनके विस्फोट से इतना धुआं होगा कि तापतान नीचे गिर जाएगा, जिससे पैदावार इस कदर घट जाएगी कि दुनिया की खाद्य आपूर्ति खतरे में पड़ जाएगी।
गेहूं, चावल, मक्का और सोयाबीन की पैदावार कम से कम पांच साल के लिए दस से 40 फीसदी घट जाएगी। ओजोन की परत भी खत्म हो जाएगी, जिससे पृथ्वी तक घातक अल्ट्रावॉयलेट किरणों की पहुंच बढ़ जाएगी और वनस्पतियों के साथ ही इंसानी अस्तित्व का खतरा भी पैदा हो जाएगा।अमेरिका में हो रहे चौथे परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी हिस्सा लेना था लेकिन पिछले रविवार को लाहौर मे हुए बम धमाकों के बाद उन्होंने इस सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला लिया।
परमाणु संधि पर दस्तखत को लेकर पाकिस्तान हमेशा आनाकानी करता रहता है। पाकिस्तान की भूमिका पर उसके ही वैज्ञानिकों की करतूत पर सवाल उठते रहे हैं। जब एटमी हथियारों को देश से बाहर जाने से रोकने की संधि पर दस्तखत की बारी आई तो पाकिस्तान ने 10 साल से ज्यादा का वक्त लगाया। परमाणु तकनीक को चोरी-छिपे फैलाने के काले कारोबार का सबसे बड़ा गुनहगार पाकिस्तान है । दूसरी ओर अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत के विपरीत उसका परमाणु कार्यक्रम ‘छोटा’ और दुर्घटना रहित है।
इससे पहले अमेरिका ने फरवरी में पाकिस्तान के सामरिक परमाणु हथियारों की सुरक्षा के प्रति चिंता व्यक्त की थी। अमेरिका में आयोजित परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज चौधरी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने दुनियाभर में 2,734 परमाणु दुर्घटनाएं दर्ज की हैं। इसमें भारत में घटित पांच दुर्घटनाएं भी शामिल हैं। चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान में ‘एक भी दुर्घटना या चूक नहीं’ हुई है। उन्होंने कहा यद्यपि हमारा परमाणु कार्यक्रम 40 साल पुराना है। पाकिस्तानी दूतावास में पत्रकारों से बातचीत में चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान के पास एक छोटा परमाणु कार्यक्रम है जिसपर उसके लोगों का अधिकार है। विशेषरूप से उसकी सुरक्षा के लिए और इससे किसी को भी खतरा नहीं है।