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पूर्वांकरा की रियल एस्टेट स्कीम सीआईएस नहीं: सेबी

sebiमुंबई। मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने कहा है कि पूर्वांकरा प्रोजेक्ट्स द्वारा शुरू की गई एक कमर्शल रीयल एस्टेट स्कीम कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम (सीआईएस) कैटिगरी में नहीं आती है, क्योंकि इसमें सुनिश्चित रिटर्न की पेशकश करके फंड्स की पूलिंग नहीं हुई है। इस प्रपोजल के बारे में पूर्वांकरा प्रोजेक्ट्स द्वारा पूछे जाने पर सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने यह स्पष्टीकरण दिया है। रेग्युलेटर ने कहा है कि कंपनी के कमर्शल ऑफिस स्पेस सेलिंग प्लान को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले फेज के तहत आइडेंटिफाइड सेलबल यूनिट के डिवेलपमेंट और परचेजर को टाइटल के हस्तांतरण से जुड़ा काम होगा। दूसरे चरण के तहत प्रत्येक बायर्स से पूर्वांकरा को आइडेंटिफाइड ऐंड सेलबल यूनिट की प्राइमरी लीजिंग का काम होगा और इसके बाद रीयल्टी कंपनी के जरिए को-ओनर्स के साथ संयुक्त रूप से इन यूनिट्स की सब-लीजिंग संभावित किराएदार को होगी। इस प्रक्रिया में रीयल्टी कंपनी की भूमिका लीज मैनेजर की होगी। किराएदारों को दी गई लीजिंग से मिलने वाली रेंटल इनकम को आनुपातिक रूप से प्रत्येक खरीदार को ट्रांसफर कर दी जाएगी। हालांकि रेग्युलेटर ने कहा है कि अगर कंपनी द्वारा बताए गए ‘तथ्य और स्थितियां’ गलत पाए जाते हैं तो वह पूर्वांकरा के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। आमतौर पर किसी स्कीम को तब सीआईएस कहा जाता है, जबकि इसमें पेमेंट इनवेस्टर्स द्वारा किया गया हो और उस फंड का इस्तेमाल स्कीम में किया गया हो। साथ ही इनवेस्टर्स अपने इनवेस्टमेंट पर प्रॉफिट की उम्मीद कर रहे हों। सेबी के नॉर्म्स के मुताबिक ऐसी कोई भी स्कीम जिसमें फंड्स की पूलिंग 100 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा हो, उसे सीआईएस कहा जाता है। मार्केट रेग्युलेटर सेबी का कहना है कि पहले चरण का ट्रांजैक्शन पूरी तरह से रीयल एस्टेट सौदा होगा जो किसी इंडिविजुअल और डेवलपर के बीच किया जाएगा। दूसरे चरण में अचल संपत्ति की बिक्री सिर्फ रजिस्टर्ड इंस्ट्रूमेंट के जरिए की जाएगी और सेल एग्रीमेंट से किसी तरह का इंटरेस्ट या चार्ज नहीं बनेगा। अनौपचारिक गाइडेंस में सेबी ने स्पष्ट किया है कि पूर्वांकरा के कमर्शल रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट को सीआईएस नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस प्रोजेक्ट में सामूहिक रूप से धन नहीं जुटाया जा रहा है और न ही कंपनी किसी रिटर्न का वायदा कर रही है। 

 

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