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पेट्रोल की इस रफ्तार के आगे बुलेट भी हो गई फेल

नई दिल्ली : जून का महीना तो आपको याद ही होगा, क्योंकि इस साल पेट्रोल-डीजल बेचने वाली कंपनियों ने बड़े-बड़े दावे किए थे। उस समय कहा गया था कि इंटरनेशनल मार्केट में पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर दिन घटती-बढ़ती रहती है। रोज तेल के दाम रिवाइज करने से  लोगों को तुरंत इसका फायदा मिलेगा। लेकिन तेल के दाम ने सिर्फ ढाई महीने में ही लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं। अगर यही हाल रहा तो तेल की कीमतों को 100 का आंकड़ा छूने में देर नहीं लगने वाली है।

पेट्रोल की इस रफ्तार के आगे बुलेट भी हो गई फेल16 जून को दिल्ली में पेट्रोल के दाम 65.48 रुपए थे। जून के पूरे महीने तेल की कीमतों में रोज उतार चढ़ाव देखने को मिलता रहा। 30 जून को पेट्रोल की कीमत 63.31 रुपए क्या पहुंची सरकार के इस फैसले की हर ओर वाहवाही होने लगी। लेकिन ये राहत सिर्फ 2 जुलाई तक ही थी, जिस दिन पेट्रोल 63.08 रुपए पर आ गया। इसके बाद शुरू हुआ असली खेल। हर दिन पेट्रोल के दामों में कभी पांच तो कभी 10 पैसे बढ़ने शुरू हुए और 15 जुलाई को पेट्रोल 64.03 रुपए पर पहुंच गया यानि सिर्फ 13 दिन में लगभग एक रुपए महंगा हो गया पेट्रोल।

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इसके बाद पेट्रोल की कीमतों ने जो रफ्तार पकड़ी वो बुलट ट्रेन से भी तेज हो गई। जुलाई का महीना खत्म होने तक पेट्रोल के दाम करीब ढाई रुपए बढ़ 65 का आंकड़ा पार कर चुका था। पेट्रोल की ये रफ्तार इसके बाद भी जारी रही और अगस्त के महीने में पेट्रोल 69 रुपए के पार हो गया यानि एक महीने में दाम 4 रुपए और बढ़ गए। अगस्त का महीना खत्म होने तक पेट्रोल लगभग साढ़े छह रुपए महंगा हो गया था।

अब सितंबर का महीना चल रहा है और पिछले 12 दिनों में पेट्रोल की रफ्तार सिर्फ 6 सितंबर को रुकी, यानी 5 और 6 सितंबर को पेट्रोल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ। बाकी के 11 दिन पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ते रहे। 12 सितंबर को पेट्रोल के दाम 70.38 रुपए तक पहुंच गए। यानि लगभग ढाई महीने में तेल ने ऐसे तेवर दिखाए जिसने आम आदमी की चुपके-चुपके जेब खाली करनी शुरू कर दी है।

 

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