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मन की बात में पीएम मोदी ने किया आपातकाल का जिक्र, इस कविता से कांग्रेस पर बोला हमला

नई दिल्ली : हर महीने के आखिरी रविवार को होने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 33 वें संस्करण में पीएम मोदी ने विविध विषयों पर अपनी बात रखते हुए आपातकाल का स्मरण कर अपरोक्ष रूप से कांग्रेस पर हमला किया. इस मौके पर उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता भी सुनाई. स्मरण रहे कि 1975 में आज ही के दिन आधी रात को आपातकाल लगाया गया था.

उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी ने मन की बात की शुरुआत मौसम से करते हुए कहा कि वर्षा ऋतु समय पर आ रही है . तनाव भरे जीवन में बारिश का आगमन मनःस्थिति को बदल देता है. वहीं आज निकलने वाली जगन्नाथ यात्रा के उल्लेख के अलावा रमजान के पवित्र माह में खुशियां बाँटने के आग्रह के साथ ईद की शुभकामनाएं भी दी. पीएम मोदी ने आज ही के दिन 25 जून, 1975 को लगे आपातकाल का स्मरण कर इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काली रात बताते हुए उन दिनों जेल में बंद अटल बिहारी वाजपेयी की कविता झुलासाता जेठ मास,शरद चांदनी उदास. सिसकी भरते सावन का.अंतर्घट रीत गया. एक बरस बीत गया.’ सुनाई. वहीं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 21 जून, 2017 को पूरा विश्व योगमय हो गया. आज योग ने विश्व को एक के धागे में बांध दिया है.

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि आज स्वच्छता सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा है. ये जन समाज का, जन-सामान्य का एक आंदोलन बनता चला जा रहा है.यहां आपने आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले की एक घटना का जिक्र किया जहां 100 घंटे में 10000 शौचालय बनाने का काम पूर्ण किया गया था. वहीं बिजनौर के मुबारकपुर गांव की घटना भी सुनाई जहाँ गांव वालों ने शौचालय तो बनवाए लेकिन . 17 लाख रुपये की सरकारी सहायता लौटा दी.

मन की इस बात में पीएम ने आप इंटरनेट पर’ई जी ई एम’ पर विजिट करने के आग्रह के साथ स्वागत में बुके के बजाय बुक देने को भी कहा. इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उपलब्धियों का बखान कर दो दिन पूर्व इसरो द्वारा ‘कार्टोसैट -2 सीरीज सैटेलाइट’ के साथ 30 नैनो सैटेलाइट को लॉन्च करने का भी जिक्र कर इससे खेती-किसानी और प्राकृतिक आपदा के समय मिलने वाली मदद की बात कहकर अपनी बात खत्म की.

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