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महबूबा मुफ्ती का जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनना लगभग तय

99736-mehbooba-muftiश्रीनगर: सत्ताधारी पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। वह अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की जगह लेंगी, जिनका आज निधन हुआ। पीडीपी के विधायकों ने एकमत से महबूबा को पार्टी विधायक दल का नेता चुना और इस बाबत राज्यपाल एन एन वोहरा को पत्र भी लिखा है।

पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें वह पत्र सौंपा जिसमें कहा गया है कि पीडीपी के विधायक राज्य की 13वीं मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज संभालने की खातिर 56 साल की महबूबा का समर्थन करते हैं। उन्होंने बताया कि लोकसभा सांसद महबूबा को 28 सदस्यीय पीडीपी विधायक दल का नेता चुनने का निर्णय एकमत से किया गया। बहरहाल, पीडीपी नेता ने शपथ-ग्रहण की तारीख या वक्त नहीं बताया।

उन्होंने कहा, यह सब कुछ दिनों में होगा। हम अभी अपने प्रिय नेता के अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया में हैं। इससे पहले, जम्मू-कश्मीर सरकार में पीडीपी की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए नेता का नाम चुनने की जिम्मेदारी पीडीपी पर ही छोड़ दी थी। पीडीपी नेता ने कहा, चूंकि मुख्यमंत्री पद के लिए नेता का नाम चुनने की जिम्मेदारी भाजपा ने पीडीपी पर डाल दी है तो महबूबा का राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ हो चुका है।

लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के तुरंत बाद पीडीपी के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने पत्रकारों को बताया, जहां तक पीडीपी की बात है, हमारी एक राय है कि महबूबा को ही मुफ्ती साहब की जगह लेनी चाहिए। महबूबा अभी कश्मीर के अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 25 सदस्य हैं। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वह पीडीपी की पसंद को मानेगी।

भाजपा उपाध्यक्ष और पार्टी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने बताया, यह फैसला करना पीडीपी का काम है कि उसका नेता कौन होगा, हमारा गठबंधन पीडीपी के साथ है। खन्ना से पूछा गया था कि महबूबा के उनके पिता की जगह लेने पर भाजपा की क्या राय है। भाजपा में कई कारणों से महबूबा का विरोध करने वाले लोग भी हैं। इसकी वजह यह है कि पीडीपी स्वशासन की अवधारणा में यकीन करती है जबकि भाजपा में कुछ लोग इसे नरम अलगाववाद करार देते हैं।

सूत्रों ने बताया कि सईद की अचानक हुई मृत्यु के कारण भाजपा के पास विकल्प काफी कम हैं और इसी वजह से उसे उनके निश्चित उत्तराधिकारी के साथ ही आगे बढ़ना होगा। उन्होंने बताया, जब उनके पिता जीवित थे तो उनसे पदभार ग्रहण करना एक बात थी और अब जब वह चले गए हैं तो यह बिल्कुल दूसरी बात है । वह स्वाभाविक पसंद है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों ने असंभव से लग रहे गठबंधन को चलाने में काफी प्रयास किया है।

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