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मीट खाने वाले मुस्लिम नहीं बन पाएंगे राम, सीता और हनुमान

ram_144524024053_650x425_101915011602दस्तक टाइम्स/एजेंसी- उत्तर प्रदेश:  फैजाबाद के मुमताजनगर की रामलीला बीते 50 सालों से सामुदायिक सौहार्द्र की प्रतीक बनी हुई है. मुस्लिमों की बहुतायत जनसंख्या वाले इलाके में होने वाली रामलीला को मैनेज करने से लेकर मुख्य भूमिकाओं तक में मुस्लिमों का ही बोलबाला रहा है.

अब मुस्लिम नहीं कर सकते मुख्य भूमिकाएं
हालांकि पिछले दो सालों से मुस्लिमों को मुख्य किरदार जैसे, (राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) करने से मना कर दिया गया है. इसके पीछे मुसलमानों की मीट खाने की आदत को जिम्मेदार बताया जा रहा है. रामलीला कमेटी के प्रेजीडेंट मजीद अली के मुताबिक, ‘कुछ स्थानीय लोगों ने रामलीला में मुस्लिमों द्वारा लीड रोल करने पर ऐतराज जताया था. उनका कहना था कि मुस्लिम मीट खाते हैं इसलिए उन्हें भगवान का किरदार नहीं निभाना चाहिए. जब हमें उनकी आपत्तियों का पता चला तो हमने उनका समाधान कर दिया.’

लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए लिया फैसला
मुमताजनगर रामलीला कमेटी के सीनियर मेंबर बलधारी यादव के मुताबिक, ‘रामलीला देखने वाली बहुत सी महिलाएं भगवान राम लक्ष्मण, सीता और अन्य भगवान का रोल करने वाले कलाकारों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं. हमने उनकी धार्मिकता को देखते हुए ये फैसला लिया है. उनकी श्रद्धा को देखते हुए यह फैसला लिया गया कि अब, रामलीला में मीट खाने वाले मुस्लिमों की जगह शाकाहारी हिंदू (भले ही वो सिर्फ नवरात्र में शाकाहारी होते हों) रखे जाएंगे. हालांकि मुस्लिम रामलीला में छोटे किरदार निभाना जारी रखेंगे. वैसे इस फैसले से यहां की रामलीला को लेकर लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ बल्कि यह आज भी उतना ही है जितना कि 1963 में था. इलाके में टेलर का काम करने वाले नसीम नवरात्रों से पहले एक्स्ट्रा ऑर्डर लेना शुरू कर देते हैं ताकि वो इन दस दिनों तक निश्चिंत होकर रामलीला में भाग ले सकें.

 

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