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मीराबाई चानू ने 8 साल तक जिसके साथ की कड़ी मेहनत, सिल्वर मेडल जीतकर छीन ली उसी की नींद!

भारत ने इस बार टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए सात मेडल जीते. ओलिंपिक के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक देश के नाम मेडल आते रहे. ओलिंपिक की शुरुआत हुई थी वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) के सिल्वर मेडल के साथ. ओलिंपिक खेलों की ओपनिंग सेरेमनी से पहले ही देश के खाते में पहला मेडल आ चुका था.

भारतीय वेटलिफ्टिंग टीम और रेलवे टीम के कोच विजय कुमार शर्मा ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीतने वाली मीराबाई चानू को ट्रेनिंग दी है. दोनों साल 2014 से साथ में ट्रेनिंग कर रहे हैं. पटियाला स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में सालों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद मीराबाई चानू ने मेडल जीतकर देश को सम्मान दिलाया है.
रियो में रहा था निराशाजनक प्रदर्शन

रियो ओलिंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मीराबाई चानू ने इस बार सिल्वर मेडल अपने नाम किया. उन्होंने 49 किलोग्राम वर्ग में स्नैच और क्लीन एंड जर्क के साथ कुल 202 किलोग्राम का वजन उठाया. जो खिलाड़ी पांच साल पहले रियो में खेल पूरा तक नहीं कर पाई थी वह टोक्यो में पोडियम पर पहुंची. उनकी इस सफलता के पीछे कोच विजय शर्मा का है. आज कल वह इतने खुश हैं कि उन्हें नींद ही नहीं आ रही है.

मीराबाई चानू जूनियर चैंपियनशिप में जीत के बाद नेशनल कैंप में आई थी. उस समय विजय शर्मा पुरुष टीम के कोच थे. दोनों ने साल 2014 में साथ में ट्रेनिंग करना शुरू किया. 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीता था. दोनों ने सालों तक ओलिंपिक पोडियम तक पहुंचने के सपने के लिए मेहनत की. यही वजह के अब मेडल जीतने के बाद कोच विजय शर्मा को नींद नहीं आती. उन्होंने कहा, ‘खुशी के मारे नींद नहीं आती. हमने मेडल के लिए बहुत मेहनत की थी.’

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मीराबाई चानू के कोच ने बताया, ‘साल 2016 हमारे लिए निराशाजनक था. हालांकि दो महीने बाद ही हम फुल फॉर्म में तैयारियों में जुट गए थे. मीराबाई चानू की मां इस दौरान अपनी बेटी कौ हौसला बढाती रही. मेरा मीराबाई को लेकर उनसे बात करता था. हालांकि इन सबके साथ सबसे ज्यादा बड़ा रोल रहा मीराबाई को. उसने जो ठाना वह करके दिखाया’.

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