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ये हिरोइन बोली खुद को भी तो रोज न्यूड देखते हैं तो क्या हुआ जो….

 fobia2राधिका सबसे पहले आप पहले फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में कुछ बताइए?

बेसिकली यह एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है जिसमें मैं एक आर्टिस्ट का किरदार निभा रही हूं जोकि अकेले रहती है…बहुत ओपन माइंडेड है. जिसके साथ एक रात ऐसा हादसा होता है जिसमें उसकी पूरी जिंदगी ही बदल जाती है. उसके बाद वो लड़की अगोराफोबिया फोबिया का शिकार हो जाती है और घर से निकलना बंद कर देती है. उसे हर चीज से डर लगने लगता है. हर आहट से उसे खतरा महसूस होने लगता है. उसे लगता है कि अगर वो घर से बाहर निकली तो कुछ अनहोनी हो जाएगी.

मीडिया रिपोर्टस में ऐसा सुनने को मिला कि शूटिंग के दौरान आप अपने किरदार में इतना डूब गई थी कि रियल लाइफ में भी आपको डर लगने लगा था ये सच है क्या?

नहीं ऐसा नहीं था, ये एक डिस्कशन का हिस्सा था. होता ये है कि जब भी आप थ्रिलर शूट कर रहे हों या कुछ डरावना दिखा रहे हों तो आपको लगता है कि इतनी सी आवाज सुनकर कोई डरेगा क्या? डराने के लिए कितनी आवाज की जरूरत है तो वो ऐसे ही डिस्कशन हो रहा था. उस रात जब मैं पैकअप के बाद जब मैं घर जाकर नहा रही थी तो मेरे बाथरूम के ठीक ऊपर कोई फर्नीचर हिला रहा था उसी की आवाज से मैं इतना डर गई कि मुझे लगा ये फिल्म देखकर लोगों को भी जरूर डर लगेगा.fobia1

राधिका सबसे पहले आप पहले फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में कुछ बताइए?

बेसिकली यह एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है जिसमें मैं एक आर्टिस्ट का किरदार निभा रही हूं जोकि अकेले रहती है…बहुत ओपन माइंडेड है. जिसके साथ एक रात ऐसा हादसा होता है जिसमें उसकी पूरी जिंदगी ही बदल जाती है. उसके बाद वो लड़की अगोराफोबिया फोबिया का शिकार हो जाती है और घर से निकलना बंद कर देती है. उसे हर चीज से डर लगने लगता है. हर आहट से उसे खतरा महसूस होने लगता है. उसे लगता है कि अगर वो घर से बाहर निकली तो कुछ अनहोनी हो जाएगी.

मीडिया रिपोर्टस में ऐसा सुनने को मिला कि शूटिंग के दौरान आप अपने किरदार में इतना डूब गई थी कि रियल लाइफ में भी आपको डर लगने लगा था ये सच है क्या?

नहीं ऐसा नहीं था, ये एक डिस्कशन का हिस्सा था. होता ये है कि जब भी आप थ्रिलर शूट कर रहे हों या कुछ डरावना दिखा रहे हों तो आपको लगता है कि इतनी सी आवाज सुनकर कोई डरेगा क्या? डराने के लिए कितनी आवाज की जरूरत है तो वो ऐसे ही डिस्कशन हो रहा था. उस रात जब मैं पैकअप के बाद जब मैं घर जाकर नहा रही थी तो मेरे बाथरूम के ठीक ऊपर कोई फर्नीचर हिला रहा था उसी की आवाज से मैं इतना डर गई कि मुझे लगा ये फिल्म देखकर लोगों को भी जरूर डर लगेगा.

आपकी ये फिल्म लोगों को क्या मैसेज देती है. आप लोगों को क्या सोचने पर मजबूर करना चाहतें हैं?

जैसा कि आप जानते हैं कि ये एक थ्रिलर फिल्म है, मुझे थ्रिलर मूवीज बहुत पसंद है. इस फिल्म को देखकर आपको पता चलेगा की आखिर अगोराफोबिया है क्या. जब कोई भी व्यक्ति इससे ग्रस्त हो जाता है तो उसपर क्या बीतती है. उसकी जिंदगी कैसी होती है. ये फिल्म आपकी जानने की उत्सुकता बरकरार रखेगी. आप जानना चाहेंगे की आगे क्या होने वाला है.

फिल्म के डायरेक्टर पवन कृपलानी से भी पूछा गया कि ये फिल्म बनाने का ख्याल आपको कैसे आया ?

पवन ने बताया कि मैंने रिसर्च किया कि जब एक आदमी ट्रामा में होता है तो वो कैसा फील करता है. देखो, शरीर का घाव तो ऐसा होता जिसे दवाईयों के साथ आप भर सकते हो लेकिन मानसिक घाव कभी नहीं भरता है या फिर उन्हें भरने में एक लंबा वक्त लग जाता है. जब एक इंसान ट्रामा में होता है तो उसके अंदर किस तरह के बदलाव आते हैं. उसके व्यवहार में क्या अंतर होता है. बस मैं एक ऐसे इंसान जोकि ट्रामा में है उसके अनदेखे पहलू लोगों के सामने लाना चाहता था.

राधिका आपको रियल लाइफ में कोई फोबिया है जो आपको परेशान करता है?

हां है ना, मुझे लाइफ में बड़ा ही मजेदार ‘आंटी फोबिया’ है. राधिका कहती हैं कि जब आप कम उम्र की होती है तो आंटियां कहती हैं कि बेटा तुम कब शादी करोगी? तुम्हारा रंग सांवला हो गया है. जब आप की उम्र बढ़ती है तो यह फोबिया खतरनाक हो जाता है.मन में डर समाया रहता है कि कहीं कोई आंटी ये ना कह दे या वो ना कह दे.

फिल्म में अपने किरदार को निखारने के लिए आपने क्या तैयारी की?

फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद, मैंने डॉक्टरों और मरीजों के साथ मुलाकात की ताकि फिल्म के विषय और अपने किरदार के लिए अधिक से अधिक जानकारी जुटा सकूं. इसके अलावा, मैंने Biological aspects को समझने के लिए न्यूरो सर्जन के साथ संपर्क किया, जिससे मैं फोबिया के बारे में समझ सकूं कि ऐसी स्थिति में व्यक्ति कैसा व्यवहार करता है.

ऐसा देखा गया है कि बोल्ड फिल्में करने से आप परहेज नहीं करती है. ‘मैडली’ में न्यूड सीन के बारे में आपका क्या कहना है?

आपको लगता है मैं बोल्ड फिल्में कर रही हूं लेकिन मेरी नजर में वो बोल्ड नहीं है. मैं जैसी हूं वैसी ही हूं. ‘मैडली’ भी मेरे लिए बिल्कुल बोल्ड नहीं है. मैं न्यूडिटी को लेकर बहुत ओपन माइंडेड हूं. राधिका हंसते हुए कहती हैं कि मैं हर वक्त वर्ल्ड सिनेमा देखती हूं और आपकी नजर में न्यूडिटी क्या है? आप घर जाते हैं और खुद को रोज न्यूड देखते हैं तो इस शरीर को लेकर ऐसी बड़ी बात क्या है! ये बात मेरे बिल्कुल समझ नहीं आती. मुझे नहीं लगता ये बोल्ड है. अगर ये फिल्म का अहम हिस्सा है तो इसमें हर्ज ही क्या है.

क्या आपकी पर्सनल लाइफ में भी ऐसी कोई डरावनी घटना घटी है जिसमें आपको एक पल के लिए लगा हो कि बस अब तो गए?

हां, ऐसी कॉलेज टाइम की एक मजेदार घटना है. जब मैं पूना में अपने घर पर अकेली थी. अचानक लाइट चली गई उस वक्त तो इनवर्टर भी नहीं होते थे मैंने कैंडल जलाए और मैं अलमारी से कुछ कपड़े निकालने लगी. अचानक मुझे बहुत डर लगा…एक मिनट के लिए लगा जैसे सांस ही रूक गई है. फिर मैंने अपने एक दोस्त को फोन करके बताया कि मुझे बहुत डर लग रहा है. मेरे दोस्त में मुझे समझाया कि डरने की कोई जरूरत नहीं है बस घर में रखे अंडे और ब्रेड को मत देखो. फिर ये बात करके मैं और मेरा दोस्त हंसने लगे.

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