उत्तराखंडराज्य

विनियोग विधेयक पर अटॉर्नी जनरल और मनु सिंघवी में हुई तीखी बहस

high-court-hearing-against-president-rule-in-uttarakhand_1460003967नैनीताल हाईकोर्ट में राष्ट्रपति शासन और बजट अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई जारी है।

सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी और मनु सिंघवी के बीच विनियोग विधेयक पर तीखी बहस हुई। बहस में मनु सिंघवी ने कहा कि विधानसभी में 18 मार्च को विनियोग विधेयक पास हो गया था। जिस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर विधानसभा में विधेयक पास हो गया था तो रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए आमंत्रित ‌क्यों किया गया।

अटॉर्नी जनjल मुकुल रोहतगी ने अपनी पैरवी में न्यायालय से कहा की जब 21 मार्च को सदन की कार्यवाही तय की गई थी तो 28 मार्च को फ्लोर टेस्ट रखने की क्या जरूरत थी जबकि 21 मार्च को ही फ्लोर टेस्ट रखा जा सकता था। उन्होंने कहा की राज्यपाल ने 28 मार्च को फ्लोर टेस्ट रखने को नहीं कहा था। उन्होंने वित्त विधेयक के दौरान ध्वनि मत को फ्लोर टेस्ट मानते हुए दूसरे फ्लोर टेस्ट की जरूरत को गैरजरूरी बताया।

राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करने पहुंचे प्रतिष्ठित अधिवक्ता हरीश साल्वे का याचिकाकर्ता हरीश रावत के अधिवक्ता अभिषेक मनुसिंघवि ने विरोध किया, लेकिन न्यायालय ने हरीश साल्वे को सुनने की इच्छा जताई। मुकुल रोहतगी के बाद हरीश साल्वे ने राज्य सरकार के पक्ष में पैरवी करना शुरू किया।

राज्य की ओर से मामले की पैरवी करने के लिए जाने माने अधिवक्ता हरीश साल्वे मंगलवार को नैनीताल पहुंचे। उधर, केंद्र की पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सोमवार को दिनभर केंद्र की पैरवी की। याचिकाकर्ता हरीश रावत की तरफ से मुख्‍य न्यायाधीश केएम जोसफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ में पक्ष रखने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी मौजूद है।

इससे पहले सोमवार को भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दिन भर बहस की। उन्होंने कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए वित्त विधेयक, स्टिंग ऑपरेशन, वित्त विधेयक पर वोटिंग न होने तथा सरकार के अल्पमत में आ जाने संबंधी विषयों पर अपनी बहस केंद्रित की। हाईकोर्ट ने इस प्रकरण पर मंगलवार को भी बहस जारी रखने के निर्देश दिए।

मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ एवं न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की संयुक्त खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने और बजट अध्यादेश के खिलाफ याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रपति ने 31 मार्च को अध्यादेश जारी किया था जिसके तहत उत्तराखंड के वित्त
विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारित कर दिया।

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