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सुप्रीम कोर्ट में आज से अनुच्छेद 35ए पर होगी सुनवाई, जानिए क्या है ये विवाद

उच्चतम न्यायालय में जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 35 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन जजों की पीठ सुनवाई में ये तय करेगी कि क्या अनुच्छेद 35 ए के मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाए या नहीं। वहीं अनुच्छेद 35-ए के बचाव के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक और वकील की नियुक्ति की है। तुषार मेहता को नया वकील बनाया गया है जो अगली सुनवाई में कोर्ट में अन्य वकीलों के साथ मौजूद रहेंगे। 

सूत्रों ने बताया कि गवर्नर राज लागू होने से पहले जो भी वकील इस मामले की सुनवाई के लिए लगाए गए थे, वे सब भी अनुच्छेद 35-ए के बचाव के लिए काम करते रहेंगे। राज्य सरकार की ओर से विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है जो अगली सुनवाई पर पेश की जाएगी। राज्यपाल बदलने के बाद अब तक अनुच्छेद 35-ए पर सरकार के स्टैंड बदलने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। कानून विभाग के सूत्रों ने बताया कि अब तक सरकार का अनुच्छेद 35-ए को लेकर पुराना ही स्टैंड है। वह सुप्रीम कोर्ट में इसका बचाव करेगी। 

नेशनल कांफ्रेंस ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35ए के बचाव के लिए पूर्व सलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम को वकील बनाया है। नेकां प्रवक्ता के अनुसार पार्टी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने नई दिल्ली में वरिष्ठ वकीलों से परामर्श करने के बाद सुब्रह्मण्यम को अनुच्छेद 35ए के बचाव का जिम्मा सौंपा। 

जानिए क्या है 35ए

-जम्मू एवं कश्मीर के बाहर का व्यक्ति राज्य में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता। 
-दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां का नागरिक नहीं बन सकता।
-राज्य की लड़की किसी बाहरी लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार समाप्त हो जाएंगे।
-35-ए के कारण ही पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी अब भी राज्य के मौलिक अधिकार तथा अपनी पहचान से वंचित हैं। 
-जम्मू एवं कश्मीर में रह रहे लोग जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं है, वे लोकसभा चुनाव में तो वोट दे सकते हैं लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं।
-यहां का नागरिक केवल वह ही माना जाएगा जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इस दौरान यहां पहले ही संपत्ति हासिल कर रखी हो।  

तो इसलिए है अनुच्छेद 35ए पर इतना विवाद

देश में संविधान 26 जनवरी 1951 को लागू हुआ। इसमें अनुच्छेद 370 भी था जो जम्मू कश्मीर को एक विशेष दर्जा देता था। लेकिन 1954 में इसी अनुच्छेद में एक उपबंध के रूप में अनुच्छेद 35ए जोड़ दिया गया। यह मूल संविधान का हिस्सा ही नहीं है बल्कि परिशिष्ट में रखा गया है। इसीलिए कई सालों तक इसका पता ही नहीं चला। संस्था की वरिष्ठ सदस्य आभा खन्ना के अनुसार अनुच्छेद 35ए को न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा में कभी पेश किया। इसे सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश (प्रेसिडेंशियल आर्डर) के जरिए अनुच्छेद 370 में जोड़ दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 368 के मुताबिक, चूंकि यह संसद से पारित नहीं हुआ, इसलिए यह एक अध्यादेश की तरह छह महीने से ज्यादा लागू नहीं रह सकता।

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