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हाईकमान की चिंता, यहां अपनी सीटों पर न सिमट जाएं BJP के कमांडर

narendra-modi-and-amit-shah_1467634311भारतीय जनता पार्टी में महत्वपूर्ण पद संभाल रहे तमाम पदाधिकारी आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने को तैयार हैं। ये नेता अलग-अलग फोरम पर विधायकी की दावेदारी जता भी चुके हैं। अपने-अपने पसंदीदा विधानसभा क्षेत्रों में उनकी सक्रियता से यह बात जाहिर भी हो रही है। वहीं, सूत्र बताते हैं कि इस पूरी सुगबुगाहट से पार्टी नेतृत्व चिंतित है।

भाजपा संगठन में जिलों से लेकर प्रदेश इकाई तक और विभिन्न मोर्चों के कई प्रमुख पदाधिकारी अपनी दावेदारी पक्की करने की रणनीति में जुटे हैं। जबकि भाजपा के रणनीतिकारों का इस बात पर जोर है कि संगठन में दायित्व संभाल रहे नेताओं को कमांडर की भूमिका में होना चाहिए।

उन्हें अपनी दावेदारी के बजाय पूरे प्रदेश में विपक्षी दलों के खिलाफ मोर्चे पर डटना चाहिए। तभी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाने की राह आसान हो पाएगी। भाजपा के जो पदाधिकारी विधायकी की दावेदारी जता रहे हैं, उनमें कुछ के नाम सामने आने भी लगे हैं।

 

इसमें प्रदेश महामंत्री खजानदास दून की राजपुर (सुरक्षित) सीट, प्रदेश महामंत्री नरेश बंसल कैंट विधानसभा सीट, हरिद्वार जिलाध्यक्ष सुरेश राठौर ज्वालापुर, प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान विकासनगर पर जोर आजमाइश करते नजर आ रहे हैं।

इसी तरह, देहरादून महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल धर्मपुर सीट, पछवादून जिलाध्यक्ष संजय गुप्ता विकासनगर और परवादून जिलाध्यक्ष जितेंद्र नेगी डोईवाला सीट पर दावेदारी जता रहे हैं। वहीं सूत्र बताते हैं कि महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष नीलम सहगल भी कैंट विधानसभा को लेकर खासी सक्रिय हैं।

‘भाजपा में शीर्ष नेतृत्व ही तय करता है कि किसे कहां से चुनाव लड़ना है। आमतौर पर पार्टी में परंपरा रही है कि जिलाध्यक्ष और विधानसभा के चुनाव संयोजक रहते वे खुद प्रत्याशी नहीं बनाए जाते हैं। अगर पार्टी नेतृत्व उन्हें प्रत्याशी बनाता है तो फिर उन्हें संगठन का दायित्व किसी और को देना होता है। यह ठोस चुनावी रणनीति और समुचित प्रचार के लिहाज से भी सही है।’

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