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हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा न दिला पाना हमारी कमजोरी: राजनाथ

rajnath_1दस्तक टाइम्स/एजेंसी
भोपाल: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्वीकार किया कि देश में नेतृत्व की कमी के कारण हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका। आज यहां दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन अवसर पर सिंह ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिला पाना हमारी कमजोरी रही। क्षेत्रीय राजनीति भी इसका एक बड़ा कारण रही। दुनिया के हर देश ने भाषाई समस्या का समाधान कर लिया है। हमारे देश में आधे से ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं और तीन चौथाई समझते हैं, इसके बावजूद हम उसे उसका दर्जा नहीं दिला पाए। गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी सम्मेलन में हुई चर्चा के बाद जो अनुशंसाएं आएंगी, केंद्र सरकार उन्हें पूरा करने का प्रयास करेगी। सिंह ने कहा कि हिंदी राजभाषा के साथ संपर्क भाषा नहीं बन सकती, ऐसा कहने वाले नहीं जानते कि पूरा देश हिंदी समझता है। हिंदी ने ही स्वतंत्रता संग्राम को अखिल भारतीय रूप दिया। अंग्रेजी को संपर्क भाषा कहने की बात बेबुनियाद है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को अधिकृत किए जाने के संबंध में सिंह ने सवाल उठाया कि जब योग दिवस के लिए हमें 177 देशों का समर्थन मिल सकता है तो हिंदी के लिए 127 देश समर्थन क्यों नहीं कर सकते। गूगल के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि इंटरनेट में सबसे ज्यादा‘कंटेंट जनरेशन’ हिंदी में हो रहा है। हिंदी में‘कंटेंट जनरेशन’94 प्रतिशत है, जबकि अंग्रेजी में मात्र 19 प्रतिशत। सिंह ने कहा कि हिंदी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक और समृद्ध भाषा है।
यह संस्कृति और जीवन मूल्यों की भाषा है। इसमें कही गई बात से भाव प्रकट होते हैं, इसलिए इसके प्रति विश्व में आकर्षण बढ़ा है। विश्व हिंदी समेलन के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण की तरह सिंह ने भी कहा कि हिंदी को बढ़ाने में गैर हिंदी भाषी लोगों का बहुत योगदान है। हिंदी फिल्में हॉलीवुड की फिल्मों के बाद सबसे लोकप्रिय है। दो किस्से सुनाते हुए श्री सिंह ने हिंदी का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि नागालैंड में चुनावी सभा को जब वे अंग्रेजी में संबोधित कर रहे थे, तो वहां के लोगों ने शोर किया हिंदी में बोलें। वहां के लोगों ने टीवी, फिल्म और सेना के लोगों से हिंदी सीखी है। संयुक्त राष्ट्र संघ में संबोधन के बारे में उन्होंने बताया कि जब वे सांसद के रूप में वहां गए थे तो अपने अंग्रेजी का भाषण का उन्होंने स्वयं हिंदी में अनुवाद किया और हिंदी में ही भाषण दिया। विदेश में हिंदी का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि गिरमिटिया देश में गए मजदूर अपने साथ हिंदी ले गए। उन्होंने हिंदी का मरने नहीं दिया, बल्कि उसे पुष्पित और पल्लवित किया। सिंह ने कहा कि भौगोलिक व संख्यात्मक रूप से हिंदी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन है। इस मौके पर विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने बताया कि सम्मेलन की अनुशंसाओं के लिए विदेश मंत्रालय एक कमेटी गठित करेगा। ये कमेटी इन अनुशंसाओं को विभिन्न विभागों को भेजेगी। आयोजन समिति के उपाध्यक्ष और सांसद अनिल दवे ने सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन की चिठ्ठी पढ़कर सुनाई। दवे ने कहा कि सम्मेलन में नहीं आ पाने पर बच्चन ने क्षमा मांगी है।

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